एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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हिम्मत रखना दिन वैसे ही फिर गुलज़ार होंगें,
बीमारी से दूर फिर शुभ समाचार होंगें।
दौर पतझड़ का आता है बहार आने से पहले-
पुराने दिन फिर वैसे ही बरकरार होंगें॥
लौटकर आ जाएंगी खुशियाँ अभी कठिन वक़्त है,
यह ‘कोरोना’ ले रहा था परीक्षा सख्त है।
समय से लें दवाई और ऊर्जा बढ़ायें अपनी-
इस कोरोना के खूनी पंजों में लग गया रक्त है॥
जान बाजी लगा निकलने की जरूरत नहीं है,
यूँ ही चिताओं में जलने की जरूरत नहीं है।
भयानक मंजर खूनी खंजर देखा है कोरोना का-
लापरवाही से काम लेने की जरूरत नहीं है॥
जरा-सा ठहर जाओ कि सब सही गुज़र जाये।
इस दूसरी लहर का ये नया उफ़ान गुज़र जाये।
यूँ आँधी में बेवजह निकलना अभी ठीक नहीं है-
हम सब निखर कर आयेंगें,ये मुकाम गुज़र जाये॥