सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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आतंक, विनाश और ज़िंदगी (पहलगाम हमला विशेष)…
कर दिया चालीस को धराशायी
तो बहुत ऊपर उड़ने लगे थे,
पर तेरी क्या बिसात जो तुम…
थाह भारत की लेने चले थे।
उधार के थे पंख ले बहुत
ऊपर उड़ने लगे थे,
छल-छद्म के सहारे हमें…
कमजोर समझ डराने चले थे।
पर तेरी क्या मजाल जो तू उड़ सके मुक्त आकाश में अकेला,
झूठ के पंख और हौसले उधार के… कर दिया झमेला।
ये जो तुम्हारा उन्माद है
उसी के कारण तुम बिखर कर गिरे,
उसी के कारण मुँह के…
बल गिरे।
और हमारे जवानों ने
तुम्हारी सीमा के अंदर,
जाकर तुम्हारे…
कर्मों का जवाब दिया।
एक बार फिर साँप बाहर निकला है
फिर विष वमन करके वापस भगा है,
चाहता है कि कोई आकर..
उसके फन को ही मसले।
भविष्य के लिए एक सलाह है,
मानो तो अच्छा होगा।
यदि किसी भी बहकावे में आए,
तो अंजाम नहीं अच्छा होगा॥