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बसंती चुनरिया…

एम.एल. नत्थानी
रायपुर(छत्तीसगढ़)
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बसंत पंचमी विशेष….

माँ धरा श्रंगार करती है,
पीली चुनरिया ओढ़ती है
पुलकित हो मन सबका,
खुशियाँ खूब छलकती हैं।

प्रकृति के आँगन में शोर,
मचाते पवन झकोले है
पंछी भी कलरव करते,
व्याकुल मन अकेले है।

छटा निराली धरा की है,
मुग्ध मगन मन गाते हैं
नीले अम्बर के फलक में,
उन्मुक्त पंछी विचरते हैं।

हरियाली धानी की चादर,
ओढ़े हर्षाए चंहुओर है।
उज्जवल धूप की छाँव में,
पतझड़ का फिर शोर है॥

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