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वो चरित्रहीन हो जाती है…

सपना परिहार
नागदा(मध्यप्रदेश)
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जब किसी पुरूष से उसकी मित्रता हो जाती है,
वो मन ही मन थोड़ा ज्यादा जी जाती है।
थोड़ा हँसती है,थोड़ा मुस्कुराती है,
तब समाज की नजरों में वो चरित्रहीन हो जाती है।

थोड़ा मन में दायरे से वो बाहर आ जाती है,
अपनी पसंद का कुछ थोड़ा भी अच्छा कर जाती है।
अपनी भावनाओं को खुल के कह जाती है,
तब समाज की नजरों में वो चरित्रहीन हो जाती है।

अपने मन का पहनावा जो कभी पहन कर जाती है,
लोगो को वो उनकी आँखों में खटक जाती है।
‘अंगूर खट्टे हैं’ वाली कहावत जैसा किसी के हाथ नहीं आती है,
तब समाज की नजरों में वो चरित्रहीन हो जाती है।

स्त्री -पुरूष की मित्रता लोगों को पसंद नहीं आती है,
उनकी नजरों में अश्लीलता की गंध क्यों आती है।
स्त्री केवल भोग की वस्तु ही नजर आती है,
तब समाज की नजरों में वो चरित्रहीन हो जाती है॥

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