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भारत-दुबई घनिष्टता के नए आयाम

डॉ.वेदप्रताप वैदिक
गुड़गांव (दिल्ली) 
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यह खुश खबर पढ़ी कि दुबई की कुल १६० सेवाओं में से भारत के लिए १०६ के द्वार खोल दिए गए हैं। कुछ दिन पहले हमारे व्यापार मंत्री पीयूष गोयल संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) आए थे और उन्होंने यहां के नेताओं से बातचीत करके यह समझौता किया था। अब यहां भारतीय नर्सों, अभियंताओं,सूचना-विशेषज्ञों आदि तरह-तरह के व्यावसायिक विशेषज्ञों को काम करने की सुविधा मिलेगी। इसका नतीजा यह होगा कि भारत के लाखों सुयोग्य नौजवानों को अपनी योग्यता को परखने का मौका मिलेगा। यदि वे दुबई और अबू धाबी में अपना सिक्का जमाएंगे तो उसकी खनक सारे अरब और अफ्रीकी देशों में भी होगी। इस समय भारत के माल को अरब और अफ्रीका के देशों में खपाने का सबसे बड़ा केंद्र यूएई ही है। भारत की कोशिश है कि ‘गल्फ को-आपरेशन कौंसिल’ के साथ भी वह कुछ इसी तरह के समझौते कर ले तो सउदी अरब,ओमान,बहरीन, कुवैत और क़तर जैसे देशों के साथ उसके व्यापारिक और आर्थिक संबंध घनिष्ट हो सकते हैं। इस समय यूएई के साथ भारत का व्यापार ६० बिलियन डाॅलर का है। अगले ५ वर्षों में यह दुगुना हो सकता है। दुबई से भारतीय माल बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को भेजा जाता है। भारत-पाक व्यापार आजकल लगभग ठप्प है लेकिन पाकिस्तान के गाँवों में भी यदि आप चले जाएं तो भारतीय चीजें वहां दनदनाती हुई दिखाई पड़ती हैं। दुबई को भारत से आने वाला माल लगभग करमुक्त हो जाएगा। संयुक्त अरब अमीरात में कहीं भी चले जाइए,ऐसा लगेगा कि आप भारत में ही हैं। यहां लगभग ३५ लाख भारतीय रहते हैं। इस देश की एक तिहाई आबादी इसके बाजारों,अस्पतालों और होटलों में भारतीयों की ही दिखाई पड़ती है। अब दोनों देशों के संबंध इतने घनिष्ट होते जा रहे हैं कि ये द्विपक्षीय संबंध दुनिया के सारे मुस्लिम देशों से आगे निकल गए हैं। कश्मीर में पैसा लगाने की पहल यूएई कर रहा है। यदि कश्मीर में एक इस्लामी देश का विनिवेश बढ़ेगा तो क्या यह पाकिस्तान के घावों पर नमक छिड़कना सिद्ध नहीं होगा ? लेकिन हमारे कश्मीरियों के लिए यह विनिवेश शहद से भी ज्यादा मीठा होगा। यूएई एक आदर्श व आधुनिक इस्लामी राष्ट्र बनता जा रहा है। भारत के साथ उसकी दोस्ती इस्लाम की छवि को सारी दुनिया में चमकाने का काम करेगी।

परिचय– डाॅ.वेदप्रताप वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है,जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया। पत्रकारिता सहित राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति और हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष आदि अनेक क्षेत्रों में एकसाथ मूर्धन्यता प्रदर्शित करने वाले डाॅ.वैदिक का जन्म ३० दिसम्बर १९४४ को इंदौर में हुआ। आप रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा के जानकार हैं। अपनी पीएच.डी. के शोध कार्य के दौरान कई विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन और शोध किया। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त करके आप भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा है। इस पर उनका निष्कासन हुआ तो डाॅ. राममनोहर लोहिया,मधु लिमये,आचार्य कृपालानी,इंदिरा गांधी,गुरू गोलवलकर,दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी सहित डाॅ. हरिवंशराय बच्चन जैसे कई नामी लोगों ने आपका डटकर समर्थन किया। सभी दलों के समर्थन से तब पहली बार उच्च शोध के लिए भारतीय भाषाओं के द्वार खुले। श्री वैदिक ने अपनी पहली जेल-यात्रा सिर्फ १३ वर्ष की आयु में हिंदी सत्याग्रही के तौर पर १९५७ में पटियाला जेल में की। कई भारतीय और विदेशी प्रधानमंत्रियों के व्यक्तिगत मित्र और अनौपचारिक सलाहकार डॉ.वैदिक लगभग ८० देशों की कूटनीतिक और अकादमिक यात्राएं कर चुके हैं। बड़ी उपलब्धि यह भी है कि १९९९ में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आप पिछले ६० वर्ष में हजारों लेख लिख और भाषण दे चुके हैं। लगभग १० वर्ष तक समाचार समिति के संस्थापक-संपादक और उसके पहले अखबार के संपादक भी रहे हैं। फिलहाल दिल्ली तथा प्रदेशों और विदेशों के लगभग २०० समाचार पत्रों में भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर आपके लेख निरन्तर प्रकाशित होते हैं। आपको छात्र-काल में वक्तृत्व के अनेक अखिल भारतीय पुरस्कार मिले हैं तो भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों में विशेष व्याख्यान दिए एवं अनेक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आपकी प्रमुख पुस्तकें- ‘अफगानिस्तान में सोवियत-अमेरिकी प्रतिस्पर्धा’, ‘अंग्रेजी हटाओ:क्यों और कैसे ?’, ‘हिन्दी पत्रकारिता-विविध आयाम’,‘भारतीय विदेश नीतिः नए दिशा संकेत’,‘एथनिक क्राइसिस इन श्रीलंका:इंडियाज आॅप्शन्स’,‘हिन्दी का संपूर्ण समाचार-पत्र कैसा हो ?’ और ‘वर्तमान भारत’ आदि हैं। आप अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों और सम्मानों से विभूषित हैं,जिसमें विश्व हिन्दी सम्मान (२००३),महात्मा गांधी सम्मान (२००८),दिनकर शिखर सम्मान,पुरुषोत्तम टंडन स्वर्ण पदक, गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार,हिन्दी अकादमी सम्मान सहित लोहिया सम्मान आदि हैं। गतिविधि के तहत डॉ.वैदिक अनेक न्यास, संस्थाओं और संगठनों में सक्रिय हैं तो भारतीय भाषा सम्मेलन एवं भारतीय विदेश नीति परिषद से भी जुड़े हुए हैं। पेशे से आपकी वृत्ति-सम्पादकीय निदेशक (भारतीय भाषाओं का महापोर्टल) तथा लगभग दर्जनभर प्रमुख अखबारों के लिए नियमित स्तंभ-लेखन की है। आपकी शिक्षा बी.ए.,एम.ए. (राजनीति शास्त्र),संस्कृत (सातवलेकर परीक्षा), रूसी और फारसी भाषा है। पिछले ३० वर्षों में अनेक भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों में अन्तरराष्ट्रीय राजनीति एवं पत्रकारिता पर अध्यापन कार्यक्रम चलाते रहे हैं। भारत सरकार की अनेक सलाहकार समितियों के सदस्य,अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञ और हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए कृतसंकल्पित डॉ.वैदिक का निवास दिल्ली स्थित गुड़गांव में है।

 

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