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मैं स्त्री

निशा गुप्ता 
देहरादून (उत्तराखंड)

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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………


फूल नहीं तेरे जीवन का उपवन हूँ,
निहार मुझे,तेरी बगिया की तितली भी मैं
मैना भी मैं ही हूँ,
चिरैया अपने बाबुल की मैं जरूर हूँ।
चहक-चहक बेटी का फर्ज निभाया है,
बहन बन रिश्तों को महकाया है
बांध लाये तुम सप्त पदी में मुझे,
पत्नी बन एक संसार दिया तुमको।
माँ बन पूर्णता दी तुम्हारे जीवन को,
हर रिश्ता तुम्हें समझाने को
अपना फर्ज निभाया है,
अब सभ्य पुरुष बनकर रहना
तो संसार तुम्हारा जिंदा है।
मैं स्त्री हूँ,नारी धर्म निभाऊंगी,
पाकर तुम मुझसे पुरुष जन्म
खुद को धन्य समझ रखना,
सम्मान मेरा दिल में रखना।
बिन मांगे सब पा जाओगे,
सहभागी हो इस जीवन के
अधिकारी मत बनने लगना,
स्नेह बंधन है ये जीवन तो
स्नेह धारा संचित रखना।
बगिया में सुरभि महकी है,
चिड़िया को चहकाये रखना
मैं उपवन तुम्हारे जीवन का,
तुम खुशबू बन मुझमें रहना॥

परिचय-निशा गुप्ता की जन्मतिथि १३ जुलाई १९६२ तथा जन्म स्थान मुज़फ्फरनगर है। आपका निवास देहरादून में विष्णु रोड पर है। उत्तराखंड राज्य की निशा जी ने अकार्बनिक रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। कार्यक्षेत्र में गृह स्वामिनी होकर भी आप सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत श्रवण बाधित संस्था की प्रांतीय महिला प्रमुख हैं,तो महिला सभा सहित अन्य संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। आप विषय विशेषज्ञ के तौर पर शालाओं में नशा मुक्ति पर भी कार्य करती हैं। लेखन विधा में कविता लिखती हैं पर मानना है कि,जो मनोभाव मेरे मन में आए,वही उकेरे जाने चाहिए। निशा जी की कविताएं, लेख,और कहानी(सामयिक विषयों पर स्थानीय सहित प्रदेश के अखबारों में भी छपी हैं। प्राप्त सम्मान की बात करें तो श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान,विश्व हिंदी रचनाकार मंच, आदि हैं। कवि सम्मेलनों में राष्ट्रीय कवियों के साथ कविता पाठ भी कर चुकी हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य- मनोभावों को सूत्र में पिरोकर सबको जागरुक करना, हिंदी के उत्कृष्ट महानुभावों से कुछ सीखना और भाषा को प्रचारित करना है।

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