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पवनसुत लौट आया

गीता गुप्ता ‘मन’
उन्नाव (बिहार)
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कहानी शौर्य की लिखकर के दुश्मन को झुकाया है,
बधाई देश को सारे,पवनसुत लौट आया है।

पराक्रम का नया सन्देश लेकर लौट आया अब,
गया था भूल हँसना जो,वतन ये मुस्कुराया है।

दिखी औकात दुश्मन की,सताया खूब सैनिक को,
कभी झुकना नहीं सीखा,कभी न सर झुकाया है।

बड़े बेचैन लम्हें हैं,करूँ दीदार हीरे का,
कि राहों में तेरी सबने आँखों को बिछाया है।

सिपाही है हवा का वो बना है देश का मोती,
बजाकर शौर्य का डंका,गर्व से सर उठाया है।

समझता क्यूँ नहीं है तू दिलों में नफ़रतें पाले,
तेरी भाषा में समझाने का ‘मन’ बीड़ा उठाया हैll

परिचय:गीता गुप्ता का साहित्यिक उपनाम ‘मन’ है। आपका जन्म ८ मई १९८७ को उत्तर प्रदेश की उन्नाव जनपद के बिहार ग्राम में हुआ है। वर्तमान में हरदोई(उ.प्र.) शहर में और स्थाई पता ग्राम राधागंज जिला उन्नाव (बिहार)है। स्नातक,परास्नातक तथा बीएड शिक्षित गीता गुप्ता का कार्यक्षेत्र -अध्यापन(प्रा. विद्यालय में शिक्षिका) है। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,बाल कविता ग़ज़ल और हायकू आदि है। ‘मन’ की रचनाओं को स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा हिन्दी से प्रेम और इसका विश्व पटल पर सम्मान बढ़ाना है। हिन्दी और आंग्लभाषा की अनुभवी गीता गुप्ता की रुचि-बच्चों को पढ़ाने, कविता लिखने,संगीत सुनने एवं पुस्तकें पढ़ने आदि में है।

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