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मॉं दुर्गा का नवरूप

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
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आदि शक्ति माँ दुर्गा (नवरात्रि विशेष)…

नवरात्रि में मॉं दुर्गा के नवरूप का वर्णन करते हैं,
चलो आज मॉं के नव रूप की कथा सुनाते हैं।

माॅं का पहला रूप है ‘शैलपुत्री’,
शैलराज की पुत्री होने से शैलपुत्री कहलाती
माथे पर है अर्धचंद्र, करती बैल की सवारी।

दूसरा रूप है ‘ब्रम्हचारिणी’ का, गले रूद्राक्ष की माला,
एक हाथ कमंडल, एक हाथ कमल का फूल,
हर लेती है वह अपने भक्तों के सब शूल।

तीसरा रूप मॉं का ‘चन्द्रघंटा’ कहलाती,
पूर्ण चन्द्रमा-सी निर्मल, हर तरफ उजाला करती।

चौथा रूप माॅं का है देवी ‘कूषमांडा’ रूपधारी,
अमृत भरा कलश हाथ में, करती बाघ की सवारी।

पॉंचवा रूप है ‘स्कंदमाता’ का, ये होती बड़ी निराली,
दयावान रूप, सारे जग का दुःख हरने वाली।

छठा रूप है ‘कात्यायिनी’, मुनि कात्यायन की पुत्री हैं,
दानव का नाश, मानव का कल्याण करती नेत्री हैं।

सातवां रूप है ‘कालरात्रि’, महाप्रलय मचाती हैं,
सबको खाने वाले काल को भी ये भोजन बनाती हैं।

आठवां रूप है ‘महागौरी’ का, श्वेत वस्त्र धारण करती हैं,
सबका उद्धार करने वाली मॉं जगदम्बा कहलाती है।

नौवां रूप है ‘सिद्धीदात्री’ का, शंख, चक्र, गदा धारण करती है,
रिद्धि-सिद्धि देने वाली मॉं सबका कल्याण करती हैं।

नव दिन का ये नव रूप, लोक कल्याण हेतु धरती है,
अपने भक्तों का उद्धार ये नव दिनों में करती हैं।

प्रेम से जो इन्हें पूजता, मनोवांछित फल पाता है,
मिट जाते हैं पाप सभी, परम गति को वह पाता है॥

परिचय– दिनेश चन्द्र प्रसाद का साहित्यिक उपनाम ‘दीनेश’ है। सिवान (बिहार) में ५ नवम्बर १९५९ को जन्मे एवं वर्तमान स्थाई बसेरा कलकत्ता में ही है। आपको हिंदी सहित अंग्रेजी, बंगला, नेपाली और भोजपुरी भाषा का भी ज्ञान है। पश्चिम बंगाल के जिला २४ परगाना (उत्तर) के श्री प्रसाद की शिक्षा स्नातक व विद्यावाचस्पति है। सेवानिवृत्ति के बाद से आप सामाजिक कार्यों में भाग लेते रहते हैं। इनकी लेखन विधा कविता, कहानी, गीत, लघुकथा एवं आलेख इत्यादि है। ‘अगर इजाजत हो’ (काव्य संकलन) सहित २०० से ज्यादा रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपको कई सम्मान-पत्र व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। श्री प्रसाद की लेखनी का उद्देश्य-समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करना, बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देना, स्वस्थ और सुंदर समाज का निर्माण करना एवं सबके अंदर देश भक्ति की भावना होने के साथ ही धर्म-जाति-ऊंच-नीच के बवंडर से निकलकर इंसानियत में विश्वास की प्रेरणा देना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-पुराने सभी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज-माँ है। आपका जीवन लक्ष्य-कुछ अच्छा करना है, जिसे लोग हमेशा याद रखें। ‘दीनेश’ के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-हम सभी को अपने देश से प्यार करना चाहिए। देश है तभी हम हैं। देश रहेगा तभी जाति-धर्म के लिए लड़ सकते हैं। जब देश ही नहीं रहेगा तो कौन-सा धर्म ? देश प्रेम ही धर्म होना चाहिए और जाति इंसानियत।