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मोदी जीत-विपक्ष को सीख

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हार्दिक बधाई उनके कौशलीय विजय पर,और विपक्ष की सफलता परl एक बार की भूल क्षम्य होती है,पर बार-बार की गई भूल अपराध की श्रेणी में मानी जाती हैl जब सामनेवाला शक्तिशाली,सत्तासीन हो और उसकी निरंतर कार्यक्षमता बढ़ रही हो,उस समय यदि किसी को हराना हो तो उसके लिए एकता की आवश्यकता होती हैl एकता के लिए सबसे पहली शर्त अपना अहम त्यागना,जो मानवीय गुणों के प्रतिकूल होने के बाद भी जरुरी होता हैl
भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार द्वारा निरन्तर बाह्य मतभेद बनाये गए और वे निरंतर एक-दूसरे के पूरक रहे,यानी वे दिन के दो और रात के एक रहे,जबकि विपक्ष एक के एक और रात में अलग-अलग रहेl सबसे पहली बात कांग्रेस का आचरण या उसके विरोध में जो भ्रष्टाचार के दाग लगे,उनका उसने सक्षमता से सामना न करके बिखरे रहेl दूसरा उनके पास नेतृत्व का अभाव यानी दूसरी पंक्ति की तैयारी नहीं और दल में व्यक्तिवाद होने से आतंरिक बिखराव तथा आपसी मेल-मिलाप का अभाव भी हैl
अन्य दल जो बहुत शक्तिशाली न होने के बाद भी किसी की अधीनता न स्वीकारना और अपना हम सर्वोपरि रखकर बिना आधार के अपने-अपने तिलस्मी भवनों में रहकर स्वयं का राजा बनने का अहसास होना,जिस कारण एकता न होना और जिसका फायदा सत्ता दल को उठाना या सत्ता दल के पिट्ठू रहना,कारण कि सत्ता में न भी होकर सत्ता से लाभ मिलता रहेl ऐसा क्या कारण है कि आपसी मेल-मिलाप किसी एक नेता के साथ न होनाl इसका ही परिणाम है कि पराजयl
“चिड़िया चुग गई खेत अब पछताए का होत” की तरह अब कुछ दिन दुःख में बिताएं और उसके बाद आत्मचिंतन, आत्मविश्लेषण करें और समझेंl यदि इस विषय पर आगामी चुनाव की रणनीति तैयार करें तो ठीक हैl जीतने वाली पार्टी अब और ज़ोरदार तरीके से आगामी चुनाव की तैयारी करेगीl उससे लड़ने के लिए एकता के साथ मत भिन्नता दूर करना होंगीl मत भिन्नता होना जरुरी है,पर मन भिन्नता नहीं होना चाहिए, लेकिन मन भिन्नता की खाई इतनी गहरी है कि उस कारण आपस में मिलना कठिन लगता है,जबकि होना नहीं चाहिएl
दल,प्रत्याशी के लिए चुनाव न लड़कर मोदी व्यक्ति के लिए चुनाव लड़ेl चुनाव लड़ना और उसका प्रबंधन करना दोनों अलग-अलग बात है,पर इस बार दोनों का भरपूर उपयोग किया गयाl इस बार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने मुद्दों पर चुनाव न लड़कर व्यक्तिवाद पर चुनाव लड़ाl श्री मोदी सुबह से रात तक अपना भाषण गाँधी नेहरू से शुरू कर अंत उसी पर करते थेl श्री मोदी ने अपने उदबोधन में बहुत अच्छी बात कही कि केन्द्रीय चुनाव आयोग (केंचुआ) की कार्यशैली से खुश हैं,अब पता नहीं तीसरे आयोग की क्या दशा होगी ? स्वाभाविक है जो पालतू होगा,उसको मालिक के प्रति वफादार होना होगाl वे अब किसी से बदले की कार्यवाही नहीं करेंगे,पर जो कानून के अंदर आएगा उसको बख्शा नहीं जायेगाl हो सकता है कि कांग्रेस दल के नेताओं पर नियमानुसार कार्यवाही की जा सकती हैl
विपक्ष यदि अपना भविष्य बनाना चाहे तो उसके लिए किसी एक को जो योग्य हो,पप्पू न हो को,अभी से अपना नेता मानकर उसकी रज़ामंदी से काम करेंगे तो भविष्य उज्जवल होगाl अन्यथा भविष्य किसी को कोसते-कोसते निकलेगा और प्रचंड बहुमत के कारण जो भी निर्णय लिए जायेंगे,वो मान्य होंगेl याद रहे कि प्रजातंत्र में जनता का विश्वास जीतना सरल और कठिन दोनों है।
इस संसार में कोई भी किसी का न मित्र है और न शत्रु,मेरे द्वारा किये गए कर्म ही मेरे मित्र हैं,और मेरे शत्रु।
इस प्रकार सत्ता पक्ष और विपक्ष की बहुत बड़ी जिम्मेदारियां हैं,उन्हें पूरा करेंगे क्योंकि सत्ता उस पक्षी जैसा होता है, जिसके दोनों पंख हों। एक पंख से वह उड़ नहीं सकता,इसी प्रकार बिना विपक्ष के सत्ता निरकुंश हो जाती है। नयी जीत के अवसर पर नयी उम्मीद रखते हैं,और यह भी कि भविष्य शुभ हो।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।