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याद मुझे तू आती है माँ

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) …

बारिश की रिमझिम बूंदों में,
ख्वाब में और मेरी नींदों में
हर पल तू मुस्काती है माँ,
याद मुझे तू आती है माँ।

जब-जब धूप का पहरा छाया,
तूने अपना आँचल फैलाया
भीड़ हो या हो तन्हाई,
साथ है तेरा, एहसास दिलाया
अपने ममता के आँचल में,
हर दिन मुझे सुलाती है माँ।
याद मुझे तू आती है माँ…

मेरे नन्हें कदमों की आहट,
तेरे ममतामयी दिल की राहत
सब दिन बीते कई मौसम आए,
कम न हुई कभी तेरी चाहत
तन्हाई में तेरी ये बातें,
आकर मुझे रुलाती है माँ।
याद मुझे तू आती है माँ…

आज भी मेरे खेल-खिलौने,
माँ तेरी झलक दिखाते हैं
तेरे साथ में गुजरे पल माँ,
अब भूले नहीं भुलाते हैं
अपनी बाँहों के घेरे में,
जैसे मुझे झुलाती है माँ।
याद मुझे तू आती है माँ…

छोड़ गई अपने पीछे तू,
अपनी अनमिट-सी परछाई
समझ नहीं पाएगी दुनिया,
इस रिश्ते की निश्चल गहराई।
मेरे मन की छोटी-सी बगिया,
खुशियों से महकाती है माँ।
याद मुझे तू आती है माँ…॥

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

 

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