साहित्य महारथी शान्ति अग्रवाल बाल-साहित्य पुरस्कार…
दिल्ली।
श्रीमती शांति अग्रवाल की पुत्री कवयित्री डॉ. पूनम अग्रवाल ने माँ की स्मृति में वर्ष २०२२ में पुरस्कार स्थापित किया। यह प्रति २ वर्ष में दिए जाने की कड़ी में दिल्ली में भव्य समारोह में हरीश कुमार ‘अमित’ एवं कविता विधा में डॉ. नागेश पांडेय ‘संजय’ को दिया गया। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा मोहन ने की। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. लक्ष्मी शंकर वाजपेयी व साहित्य अकादमी के उप-सचिव डॉ. देवेंद्र कुमार ‘देवेश’ रहे।
वर्ष २०२३ में शांति जी के परिवार ने ‘शांति अग्रवाल एसोसिएशन फॉर आर्ट म्यूज़िक एंड लिटरेचर (सामल)’ की स्थापना की, जिसके अंतर्गत प्रदत्त और आयोजित इस कार्यक्रम में श्रीमती शांति अग्रवाल द्वारा हास्य कविताओं की पुस्तक ‘नहीं खोपड़ी में कुछ आई’ का लोकार्पण किया गया, जिसका सम्पादन डॉ. पूनम अग्रवाल ने किया है। समारोह में पुस्तक ‘शहीद का बेटा’ एवं ‘रोचक बाल कविताएँ’ के लिए इस पुरस्कार में प्रत्येक रचनाकार को ११ हजार ₹, शॉल, ट्रॉफी एवं प्रशस्ति-पत्र दिया गया। डॉ. नागेश का पुरस्कार शांति अग्रवाल की ज्येष्ठ पुत्री-वरिष्ठ कवयित्री डॉ. रंजना अग्रवाल द्वारा प्रायोजित किया गया। पुरस्कार प्राप्त करते हुए डॉ. नागेश ने कहा कि मुझे आभास हो रहा है कि जैसे श्रीमती शांति जैसी महिषी विभूति आज हमारे बीच उपस्थित हैं। उनकी बाल-रचनाएँ बच्चों के कंठों में निवास करती हैं। मेरा सौभाग्य है कि उनके नाम से प्रवर्तित पुरस्कार के लिए मुझे चुना गया है। डॉ. नागेश ने बहुत ही रोचक बाल-कविता का पाठ किया।
प्रतिष्ठित कवयित्री डॉ. कीर्ति काले ने पुस्तक को लोट-पोट कर देने वाली बताया। उन्होंने कहा कि शांति जी की हास्य-कविताएँ आज भी प्रासंगिक हैं, शालीन हैं और बड़े ही मज़ेदार विषयों पर लिखी गई हैं। जैसे-‘कवि-सम्मेलन से संयोजक ही भाग गया।’ उन्होंने श्रीमती अग्रवाल की बहुत ही लोकप्रिय कविता ‘कवि की पत्नी’ का सस्वर पाठ भी किया। इस कार्यक्रम को वरिष्ठ गीतकार डॉ. धनंजय सिंह एवं वरिष्ठ साहित्यकार सरिता गर्ग ‘सरि’ (जयपुर) का भी सान्निध्य मिला। निर्णायक मंडल की सदस्य डॉ. शकुंतला कालरा एवं डॉ. कुसुम लता सिंह ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय कवि संदीप गुप्ता ‘शजर’ की सुमधुर सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात डॉ. पूनम अग्रवाल ने स्वागत वक्तव्य देते हुए श्रीमती अग्रवाल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला तथा पुरस्कार के संबंध में विवरण दिया। डॉ. कालरा ने ‘बाल-साहित्य किस प्रकार का हो’ पर सारगर्भित वक्तव्य दिया। ‘देवेश’ ने पुरस्कृत रचनाकारों को बधाई एवं बाल-साहित्य पर चर्चा करते हुए हिंदी में उपयुक्त किशोर- साहित्य-सृजन की आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित किया। डॉ. वाजपेयी ने कहा कि आज कवियों की भरमार है, परंतु हास्य-कविता में न कविता दिखाई पड़ती है और न हास्य। ऐसे में शांति अग्रवाल जी की हास्य-कविताओं की एक अच्छी पुस्तक आई है, यह सुखद है। उन्होंने कहा कि कई बार पुराने सशक्त साहित्यकारों की रचनाएँ उनके बाद बेच दी जाती हैं और कई बार रद्दी की दुकानों में मिलती है। ऐसे परिदृश्य में शांति जी की हास्य-कविताएँ सबके लिए एक उदाहरण है। आपने बाल-साहित्य लिखने की जटिलता पर विचार प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर डॉ. वाजपेयी तथा इंदिरा मोहन ने एक स्वर में कहा कि इस तरह के प्रयास सबके लिए उदाहरण हैं कि साहित्यिक थाती को किस तरह संजोया जाए। विमोचन के पश्चात् काव्य-गोष्ठी हुई, जिसकी अध्यक्षता डॉ. धनंजय सिंह ने की। प्रारंभ श्रीमती अग्रवाल के अत्यंत लोकप्रिय गीत ‘कहना प्यार हृदय का यमुने, पर अंतर की पीर न कहना’ से हुआ, जो उन्हीं की आवाज़ में उनकी सी.डी. ‘कहा करते गीतों के स्वर’ से प्रस्तुत किया गया। युवा रचनाकारों आर्यवृत, पावनी कुमारी, कुंदा शामकुंवर, कुलीना जी के साथ-साथ वरिष्ठ रचनाकारों रामानुज सिंह सुंदरम, डॉ. पूनम अग्रवाल, श्रीमती गर्ग, प्रतुल जी, डॉ. रश्मि अग्रवाल, डॉ. रंजना अग्रवाल, संदीप गुप्ता ‘शजर’ व डॉ. काले आदि के काव्यपाठ का सबने ख़ूब आनंद लिया।
सभागार में सुश्री पूनम माटिया, सुश्री क्षिप्रा भारती, डॉ. रघुवीर शर्मा व बी.एल. प्रेमी आदि साहित्यकारों व घनिष्ठ मित्रों सहित अनेक गणमान्यों ने उपस्थिति से शोभा बढ़ाई। ग़ज़लकार अनिल वर्मा ‘मीत’ तथा ‘शज़र’ ने कुशल संचालन किया।