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लाड़ली बेटी याद रखना

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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अम्मा की शिक्षा सासरे ले जाना बेटी तुम साथ में,
अब पिता तुम्हारे दे दिए हैं, तुमको पति के हाथ में।

बचपन से तुमको मिली है शिक्षा, तुम सदैव याद रखना‌,
सास-ससुर की सेवा, माता-पिता समान किया करना।

ऊँची आवाज में बात ना करना, माता-पिता हो जाएंगे बदनाम,
पढ़ा-लिखा विद्वान बनाया तुझे, करते रहना सही काम।

संस्कार भरे हैं मैं तुझमें, सासरे में सुघड़ गृहिणी बन जाना,
पति आज्ञा का पालन करना, हरेक कार्य में हाथ बँटाना।

लाड़ली बेटी याद रखना, दु:ख-सुख तो आते- जाते रहते हैं,
इसी का नाम है ज़िन्दगी, गुरु ज्ञानीजन बात यही कहते हैं।

अगर दुष्ट भाव पति, तुम्हारे साथ अपनाएंगे,
पिता को सूचित कर देना, हम उनको समझाएंगे।

पढ़ी-लिखी हो मेरी बिटिया, सीमा के पार कष्ट नहीं सहना,
यदि जान जाने की नौबत आए, तो झांसी की रानी बनना।

हे ईश्वर, ‘देवन्ती’ की बेटी गई ससुराल, ख्याल उसका रखना,
बिटिया के संग परिजनों को, प्रेम भरा ज्ञान हृदय में भरना।

जा बेटी तू सासरे, पीहर से बंधी रहेगी प्रेम- प्यार की डोर,
अम्मा की शिक्षा ले जाना, बांधकर बेटी आँचल के छोर॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है

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