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एकता कायम रहे

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)

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अपनों से जो लड़ोगे बिखर जाओगे सुनो,
जलने लगेंगे गाँव किधर जाओगे सुनो।
लड़ना कभी न भाइयों आपस में है कसम-
मिल-जुल के तुम रहोगे निखर जाओगे सुनो॥

माना कि धर्म-बोलियाँ अनेक साथियों,
लेकिन हमारा देश तो है एक साथियों।
होली व ईद को सभी मिलते हैं हम गले-
बन के रहेंगे यूँ ही सदा नेक साथियों॥

माँ भारती की ही तो हैं संतान हम सभी,
इंसान की औलाद हैं इंसान हम सभी।
हिन्दू न मुसलमान नहीं सिक्ख ईसाई-
हैं देश की सीमा के निगाहबान हम सभी॥

धरती है एक और खुला आसमान है,
आबो-हवा भी एक जो हम सबकी जान है।
हम भाइयों की एकता कायम रहे सदा-
इस एकता से देश की हर ओर शान है॥

यह प्यार आपसी कभी भी छोड़ना नहीं,
नफ़रत की ओर खुद को कभी मोड़ना नहीं।
कुछ लोग आज भी मिलेंगे देश के दुश्मन-
बातों में उनकी भाई रिश्ते तोड़ना नहीं॥

परिचय-वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। इनकी जन्म तारीख २० अप्रैल १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न(कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान(गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। आकाश महेशपुरी की लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।

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