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शुभ घड़ी है

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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शुभ घड़ी है,शुभ दिवस है,
राष्ट्र का संदर्भ है
आइए इस पर्व पर,
कुछ काम की बातें करें हम।

जब से मिली आज़ादी,
हमने प्रगति तो की है मगर
राह से भटके कहीं,
इस बात की चर्चा करें हम।

मैं हूँ, मैं हूँ और मैं हूँ बस,
यही अब याद है
इसी चिंतन की दिशा में,
बढ़ रहे सबके क़दम।

‘अमृत बेला’ का समय यह,
नहीं मुड़ कर देखने का
क्यों हुई है भूल हमसे,
और क्यों बहके कदम।

लंबी छलाँगें है लगानी,
देश की तकनीक को
विगत का संताप तज,
नव राष्ट्र का निर्माण हो।

विज्ञान और उद्योग शिक्षा,
के नए उपमान हों
गुणवत्ता नियंत्रण उपज की,
कृषि परीक्षण का ज्ञान हो।

है यही अब सोचना,
हम काम ऐसा कुछ करें
चाहिए अधिकार तो,
कर्त्तव्य की बातें करें।

संभावनाओं को करें,
पोषित नए संकल्प हों
उज्ज्वल भविष्य है देश का,
इसका न कोई विकल्प हो।

करता है विश्वास भारत,
युवा देश के सजग हों।
अपनी क्षमता का प्रदर्शन,
कार्य सारे सुगम हों॥