कुल पृष्ठ दर्शन : 34

You are currently viewing श्रम का कोहिनूर हूँ

श्रम का कोहिनूर हूँ

ममता साहू
कांकेर (छत्तीसगढ़)
*********************************************

श्रम आराधना विशेष…

मजदूर हूँ, मजदूर हूँ,
घर से अपने दूर हूँ।

देश का नूर हूँ,
श्रम का कोहिनूर हूँ।

सूखी रोटी खाता हूँ,
भारी वजन उठाता हूँ।

किसी मौसम से नहीं घबराता हूँ,
तकलीफों में भी खुश हो जाता हूँ।

बिगड़ी मैं बनाता हूँ,
सबके काम आता हूँ।

बंजर भूमि पर भी,
सोना मैं ही उगाता हूँ।

मजदूर हूँ, मजदूर हूँ,
बिना थके हर काम कर जाता हूँ।

मंदिर-मस्ज़िद जाता हूँ,
चर्च-गुरुद्वारे बनाता हूँ।

बिना भेद-भाव के,
सबका काम कर जाता हूँ॥