श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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आज चंद्रमा सूर्य भी खुश हुए,
आकाश पवन सब हर्षित हुए
बिना दीप जले रोशनी छाई,
हर्षित हैं अवध के बहन-भाई।
हो गई पावन पुण्य वसुन्धरा
प्रभु राम के पग पड़ते ही धरा
दुष्टों से मुक्ति पाएगी वसुन्धरा,
धन्य हैं रहते जो अवध की धरा।
गगन तले शंख की गूँजी ध्वनि,
वेद मंत्र पढ़ने लगे हैं ऋषि-मुनि
हुई गगन से फूलों की बरसात,
अति हर्षित हो गई चाँदनी रात।
राजा दशरथ घर में जन्मे हैं राम,
संपूर्ण हो जाएगा सबका काम।
हर चौक-चौराहे में होती है बात,
अच्छे दिन रात की है शुरुआत॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है