Total Views :209

You are currently viewing संतुलन नहीं खोना

संतुलन नहीं खोना

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************

अगर आए बन कर कोई दीवाना,
सुनाए तुझे प्यार का अफसाना
पहले दीवाने के मन को झाँकना,
तब मानसिक संतुलन नहीं खोना।

दीवाने के दिल में झाँक के देखना,
बिना दिल को परखे नहीं फसना
उम्रभर की मित्रता तुझे है बनानी,
पर मानसिक संतुलन नहीं खोना।

दिल का कारोबार समझ के करना,
जालिम जमाना है संभल के रहना
प्यार सच्चा है तो हृदय से लगाना,
पर मानसिक संतुलन नहीं खोना।

झूठा प्यार दिखाएगा संभल जाना,
दिल का लुटेरा भी होता है दीवाना
हाथों में हीं रखता है दिल दीवाना,
पर मानसिक संतुलन नहीं खोना।

भूल हुई तो ‘देवन्ती’ से नहीं कहना,
फर्ज है हमारा तुझको समझाना।
धोखा मिलने पर जीवन भर रोना,
इसलिए, मानसिक संतुलन नहीं खोना॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |

Leave a Reply