डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’
वाराणसी(उत्तरप्रदेश)
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मिले लगाओ जो गले,चलते रहना वीर।
जाना अपने लक्ष्य तक,रुक मत जाना धीर॥
मिलें राह में हमसफर,और चलें यदि संग।
पहनाओ माला उन्हें,भरकर जोश-उमंग॥
साथ छोड़ना मत कभी,यदि वे चाहत साथ।
साथ निभाने का नियम,रहे हाथ में हाथ॥
सजा चलेगा कारवां,सदा रहेगा साथ।
रक्षा का संकल्प ले,बन जा दीनानाथ॥
रामचन्द्र की मंडली,को करना तैयार।
साथी-संगी-मित्र से,होगा बेड़ा पार॥
सभी जरूरी तत्व हैं,सबका है उपयोग।
कौन कहाँ किस काम का,करते रहो प्रयोग॥
पावन लक्ष्य महान का,करते रह संधान।
पाना है यदि लक्ष्य तो,रचना विधिक विधान॥
‘टीम’ भाव से काम कर,संयोजित कर काम।
जो जिस लायक हो उसे,दो वैसा ही नाम॥
रावण वध करते रहो,दो असुरों को मार।
सेना लेकर राम की,कर राक्षस पर कार॥