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जा रे चंदा…

अंजना सिन्हा ‘सखी’
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
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जा रे चंदा कह साजन से, सजनी राह निहारे।
करवा चौथ पर्व आया, उनको हृदय पुकारे॥

मचल रहे हैं अरमां मेरे, करनी उनसे बातें,
वे निर्मोही कटना मुश्किल, विरह भरी ये रातें।
कब आएंगे प्रियतम कर दो,
मुझको ज़रा इशारे,
जा रे चंदा कह साजन से, सजनी राह निहारे…॥

बोझिल-सा मन रहता मेरा, उसकी याद सताए,
राह निहारूँ छत पर उसने, वादे सभी भुलाए।
जिऊँ बसाए मन में सजना,
उसकी प्रीति सहारे,
जा रे चंदा कह साजन से, सजनी राह निहारे…॥

सब श्रंगार बिना प्रियतम के, फीके-फीके लगते,
दूर सजन हैं इंतजार में, नैन रात भर जगते।
लगने लगता एक नदी के, हम हैं पृथक किनारे,
जा रे चंदा कह साजन से, सजनी राह निहारे…॥