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सबकी भाग्यविधाता

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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प्रकृति और खिलवाड़…

यह विषम परिस्थिति में,
दिखता समय का बड़ा उलटफेर है
जन-जन तक विकास यात्रा के लिए,
दिखता यहां खूब संघर्ष व मुठभेड़ है।

प्रकृति के सुन्दर सलोने स्वरूप को,
सुरक्षित बचाने के लिए हम-सबको
शिष्टता पूर्ण आचरण करना जरूरी है,
जनमानस को प्रकृति के
झकझोर और निष्ठुर आक्रमण से,
अब अपने लोगों को बचाना
बन चुकी एक मजबूरी है।

प्रकृति हम सबको,
सुरक्षित रखने वाली
हमारी जगत जननी माता है
सुन्दर और स्नेहिल भाव की महक लिए,
हम सबकी भाग्यविधाता है।

अत्यधिक प्रहार व दोहन इसका,
सही नहीं दिखता उत्तम व्यवहार है
प्रगति और विकास में आगे बढ़ने का,
कभी नहीं बन सकता सुंदर संस्कार है।

जलधारा पर विपरीत विजय कर,
हम कभी भी सुरक्षित नहीं रह सकते हैं
सुरंग और रेलवे की बुनियाद पर,
हर वक्त मुश्किल में पड़ सकते हैं।

प्रकृति पर विजय प्राप्त का ध्येय,
हम सब मिलकर परित्याग करें।
ईश्वरीय वरदान पर कभी नहीं,
मजबूती से कभी संहार करें॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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