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सभी को है विदाई

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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होंगे दूर कल सभी को है विदाई,
आज प्रत्यक्ष दुखद घड़ी है आई
बधाई हो तुम्हें तुम्हारी यह विदाई,
रहे याद सदा,दिलों की होगी न रिहाई।

आँखें हैं नम दिलों में उमंग,
आज यह कैसी घड़ी है आई
छूट रहा है हमारा तुम्हारा संग,
दु:ख-सुख का अजीब संगम है लाई।

हो रहे हो दूर,मैं बहुत मजबूर,
यह न तेरा कसूर-ना मेरा कसूर
जीवन का है यह एक कर्म गति,
इस पथ सबको जाना है जरूर।

आता याद हमें तुम्हारा लड़खड़ाना,
बोलना,चलना और फिर रुक जाना
वह डांटना-पीटना और फिर दुलारना,
रुके बोलों को प्यार से आगे बढ़ाना।

गम की घड़ी में तुम दम से जाओ,
जीवन में हमसे अच्छे गुरु पाओ
ले उनसे ज्ञान तुम ध्यान लगाओ,
उच्च सफलता पा हमें हर्षाओ।

इस विदाई की अंतिम घड़ी में,
माँगूं मैं गुरु दक्षिणा केवल एक,
खूब पढ़ो-लिखो और बनो नेक,
सफलता की चोटी पर पहुँचो प्रत्येक।

है कामना सूरज-सा चमके तेरा नूर,
देख हर्षित होता रहूँ मैं यहाँ तुमसे दूर
सत्य है यह सुनो सभी ध्यान से जरूर,
होंगे जुदा हम हृदय होगा ना कभी दूर।

होंगे दूर कल सभी को है विदाई,
आज प्रत्यक्ष दुखद घड़ी है आई।
होंगे दूर कल सभी को है विदाई,
सभी को है विदाई,सभी को है विदाई॥

परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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