श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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मेरा नाम ‘समय’ है, मैं किसी का मोहताज नहीं,
यह सच है मेरा ना घर है ना द्वार, नहीं है कोई राज।
मैं आजाद पंछी हूँ चक्र का पहिया, सदा चलना ही है काम,
तभी तो युग के निर्माण से, पहले ‘समय’ पड़ गया मेरा नाम।
मैं मजदूर नहीं,ना बादशाह, नहीं मैं राजा-रंक फकीर हूँ,
मैं समय, मेरा रंग-रूप नहीं, मैं वक्त की लकीर हूँ।
मैं समय, संकट को नहीं टाल सकता, ना खुशी दे सकता हूँ,
पाप-पुण्य सब देखता हूँ, देखकर भी नेत्रहीन बना रहता हूँ।
देवलोक, मृत्युलोक या चंद्रलोक मुझे कोई नहीं रोक सकता,
किसी में क्षमता नहीं, कारागार में ‘समय’ को कैद कर सकता।
मैं ‘समय’ पैर नहीं है मेरे, फिर भी हरेक पल चलते रहता हूँ,
मानव,पुजारी हो चाहे हो भिखारी, किसी के लिए नहीं रुकता हूँ॥
गगन में सूर्य,चन्द्रमा, तारे सभी अपने पथ बदलते रहते हैं,
मैं ‘समय’, हमारा पथ नहीं है, बिना पथ चलते रहता हूँ।
मैं ‘समय’ गंगा या भरी बरसात के जल से, भींगता नहीं,
अग्नि मुझे जलाती नहीं, वायु का तेज प्रकोप उड़ाता नहीं।
‘समय’ नाम है, हँसता-रोता नहीं हूँ, देखता नहीं हूँ पीछे कभी,
मैं ‘समय’, ‘देवन्ती’ की कविता से सच बात बता दी है अभी॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |