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सार्थक आपसी संवाद द्वारा ही भाषा को पोषण देना संभव

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इंदौर(मप्र)।

तकनीक के साथ हिंदी की मित्रता शीघ्र ही इसे अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अग्रणी भाषा के रुप में स्थापित करेगी। हिंदी में सार्थक आपसी संवाद द्वारा ही भाषा को पोषण देना संभव है।
यह विचार केन्द्रीय हिंदी निदेशालय की सहायक निदेशक डॉ. नूतन पाण्डेय ने श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के सभागार में वीणा संवाद केन्द्र, इन्दौर की स्थापना के अवसर पर व्यक्त किए।
चुनिंदा हिंदी स्नेहियों के मध्य आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. वसुधा गाडगिल और अंतरा करवड़े को केन्द्र के संयोजक क़ा दायित्व दिया गया। कार्यक्रम में मॉरीशस से डॉ. अंजली चिंतामुनि द्वारा उनके देश में हिंदी साहित्य की स्थिति, महात्मा गांधी द्वारा किए गए कार्य और साहित्यकारों की रचनाओं से मिलती नवीन दृष्टि को लेकर बात की गई। निदेशालय के सहायक निदेशक डॉ. दीपक पाण्डेय ने विविध योजनाओं द्वारा हिंदी भाषा को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। ‘वीणा’ पत्रिका के संपादक राकेश शर्मा द्वारा समिति के गौरवशाली इतिहास, पत्रिका की यात्रा और समृद्ध साहित्यिक धरोहर के विषय में अतिथियों को जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के अध्यक्ष के रुप में अनुवादक व विश्व हिंदी सचिवालय (मॉरीशस) के पूर्व महासचिव डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ने संबोधित करते हुए अनुवाद यात्रा के कुछ अनुभवों को साझा करने के साथ ही सृजनात्मक सोच की आवश्यकता पर बल दिया।
अतिथि स्वागत डॉ. पद्मा सिंग, समिति के अरविंद ओझा व अर्चना शर्मा ने किया। हरेराम वाजपेयी एवं कविता वर्मा ने स्मृति चिन्ह भेंट किए। संचालन अंतरा करवड़े ने किया। आभार डॉ. गाडगिल ने माना।

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