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साहित्य का उद्देश्य है लोकमंगल

हैदराबाद (तेलंगाना)।

साहित्य का उद्देश्य है लोकमंगल। साहित्य से प्रेम होने के कारण यहाँ पर इतनी उपस्थिति है और आज साहित्य की विविध विधाओं कहानी, काव्य, लघुकथा, व्यंग्य लेखन, सृजनात्मक तकनीक एवं गायन पर पुरस्कार दिए जा रहे हैं। सभी पुरस्कार ग्रहिताओं को शुभकामनाएँ।
यह बात अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. शुभदा वांजपे ने कही। अवसर रहा साहित्य गरिमा पुरस्कार- २०२४ समारोह का, जो अबोड होटल में हुआ। पुरस्कार की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अहिल्या मिश्र, महासचिव डॉ. रमा द्विवेदी एवं कादम्बिनी क्लब की कार्यकारी संयोजिका मीना मुथा ने बताया कि साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति, ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया व हैदराबाद चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में यह समारोह किया गया। प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि विश्वजीत सपन (पुलिस महानिदेशक, आंध्र प्रदेश) एवं अतिथि डॉ. अरुण कमल (वरिष्ठ साहित्यकार) रहे। अध्यक्षता डॉ. मिश्र (संस्थापक अध्यक्ष) ने की। विशिष्ट अतिथि अनंत कदम व अतिथि श्रीमती शांति अग्रवाल भी मंचासीन हुए। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित किया। सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। अतिथियों का स्वागत किया गया।
द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि सहस्त्रवधानी पद्मश्री डॉ. गरिकिपाटि नरसिम्हा राव का सम्मान डॉ. टी.सी. वसंता एवं डॉ. मिश्र ने किया। तीनों अनुवाद पुरस्कार ग्रहिताओं का सम्मान देवा प्रसाद मायला, डॉ. श्रीलक्ष्मी एवं डॉ. वसंता ने किया। समारोह में डॉ. नेहा भंडारकर को कथेतर विधा पर पुस्तक ‘लोकहितैषी राजश्री देवी अहिल्या बाई’ की जीवनी हेतु स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, शॉल-माला एवं २१ हजार ₹ सहित पुरस्कार दिया गया। इसी तरह ‘सिया सहचरी काव्य लेखन पुरस्कार’ रामनारायण ‘हलधर’, टी. हनुमंत राव, वाई प्रभाकर, वेंकटेश देवनपल्ली, श्रीमती सुषमा मुनींद्र व संतोष सुपेकर आदि को भी पुरस्कृत किया गया। सभी पुरस्कार ग्रहिताओं को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर विश्वजीत सपन, डॉ. कमल, शांति अग्रवाल एवं अनंत कदम ने भी उद्गार व्यक्त किए। प्रथम सत्र का संचालन एफ. एम. सलीम ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ. सुरभि दत्त ने किया।
द्वितीय सत्र में बहुभाषी काव्यगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने की। मुख्य अतिथि डॉ. राव, विशिष्ट अतिथि प्रो. गंगाधर वानोडे, डॉ. मिश्र, शांति अग्रवाल एवं रामनारायण ‘हलधर’ रहे। मुख्य अतिथि ने दुर्गा स्त्रोत का कंठस्थ पाठ किया। प्रो. शर्मा ने अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि सभी की रचनाएं अच्छी रहीं, पर शब्दों पर और ध्यान दें और अभ्यास करें। इस सत्र का संचालन मीना मुथा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मोहित ओझल ने दिया।