अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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हिन्दी साहित्य को यूँ तो अनेक कलमकारों ने अपने विचारों की कलम से सशक्त किया है, पर इसमें पद्मश्री (२०१८) श्रीमती मालती जोशी का विशिष्ट स्थान है और जीवन पर्यन्त रहेगा।
भोपाल-मुम्बई में रहकर भी इंदौर से विशेष स्नेह रखने वाली संवेदनशील लेखिका मालती जोशी ने हिन्दी साहित्य में कहानी विधा को समृद्ध करने में अपना भरपूर योगदान दिया, और इसे बड़े लेखक भी नकार नहीं सकते हैं। बेहद सरल-सहज परन्तु मूर्धन्य लेखिका श्रीमती जोशी (९० वर्ष) का हाल ही में निधन हो गया, जो हिन्दी एवं मराठी में मार्मिक लेखन की दृष्टि से बड़ी क्षति है।
आपने दोनों भाषाओं में ६० से अधिक कृतियों को रचा, जिसके लिए सर्जक मालती जोशी को साहित्यिक योगदान हेतु पद्मश्री अलंकरण से विभूषित किया गया था।
मध्यप्रदेश सहित अनेक राज्यों में सम्मानित मालती जोशी का जन्म ४ जून १९३४ को औरंगाबाद में हुआ था।हिन्दी से एम.ए. की शिक्षा ग्रहण करने वाली श्रीमती जोशी की लेखनी में वो दम था कि, इनकी कहानियों, बाल कथाओं व उपन्यासों का विभिन्न भारतीय व विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया। कई कहानियों का मंचन रेडियो व दूरदर्शन पर नाट्य रूपान्तर भी प्रस्तुत किया गया है। सबसे बड़ी उपलब्धि देखें तो इनकी कहानियों पर अभिनेत्री जया बच्चन द्वारा दूरदर्शन के लिए धारावाहिक ‘सात फेरे’ का निर्माण किया गया। इसे गुलज़ार के दूरदर्शन धारावाहिक ‘किरदार’ एवं ‘भावना’ में शामिल किया गया।
लम्बे समय तक भोपाल में रही मालती जोशी से मेरा वास्ता उनके मुम्बई में निवास के दौरान साझा संकलन पुस्तक ‘हम और तुम’ में आशीर्वचन के लिए पड़ा। बड़ी साहित्यकार होकर भी आपने जिस सरलता से बात की एवं संदेशा दिया, वह वाकई आपकी विनम्रता, बड़प्पन और संस्कार का परिचायक है।
अगर हम मालती जोशी की कलम बनाम लेखनी में कहानियों को देखें तो इसका दायरा काफी विस्तृत है। आपने जीवन की छोटी-छोटी अनुभूतियों और स्मरणीय क्षणों को बेहद खूबसूरती से अपनी माला रूपी कहानियों में मोती की तरह पिरोया है। कहना तर्कसंगत होगा कि, इनकी कहानियाँ अपने आसपास बिखरे सुख और दु:ख को बयाँ करती हैं, इसलिए यह रचनाएँ सबके मन को छूती हैं। आपकी प्रमुख कथा कृतियों में- मध्यांतर (कहानी संग्रह), पटाक्षेप, पराजय, एक घर सपनों का, विश्वास गाथा, शापित शैशव तथा अन्य कहानियाँ, पिया पीर न जानी, औरत एक रात है, रहिमन धागा प्रेम का, परख, वो तेरा घर ये मेरा घर, मिलियन डॉलर नोट तथा अन्य कहानियाँ, ऑनर किलिंग और अन्य हैं।
संसार की जगमग से दूर रहने वाली श्रीमती जोशी की विशेषता उनकी कहानी कहने की विशिष्ट शैली रही, जिसने श्रोताओं को सदैव प्रभावित किया। देश के अनेक विश्वविद्यालयों में आपके रचनाकर्म पर किए गए शोधों पर अनेक शोधार्थियों को डॉक्टरेट की उपाधि दी गई है, जो एक रचनाकार के नाते समाज के प्रति आपकी सफलता को प्रमाणित करती है।
सादगी पसंद साहित्यकार श्रीमती जोशी का लेखन वाकई जिस सरलता और तीव्रता से हृदय में उतरता था, वह यह बताता है कि, उनके शब्दों में पाठक को अपना कोई अनुभव मिलता था। लगता था जैसे कहानी में मेरी ही बात चल रही है। निःसन्देह आपकी कमी सदा खलेगी। सच में आपकी लेखनी सुख-दुःख का दर्पण थी। मालती जोशी जी को सादर श्रद्धांजलि।