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हिंदी साहित्य में नकारात्मकता घातक

अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी….

वाराणसी (उप्र)।

समय की माँग है कि शिक्षा का उद्देश्य विकास और आजीविका प्राप्ति हो। इसके लिए हिंदी की रोजगारपरकता में वृद्धि तथा उसके लिए सहज-बोधगम्य हिंदी में वैज्ञानिक और तकनीकी साहित्य की रचना करना होगी। हिंदी, आंचलिक भाषाओं-बोलियों की स्पर्धी नहीं, सहयोगिनी और पूरक है। गत ७ दशकों में सृजित हिंदी साहित्य नकारात्मक विचारों से लबालब है। हिंदी साहित्य में नकारात्मकता घातक है।
यह विचारोत्तेजक संबोधन हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंडस, वृहद पुरोहित संघ मारीशस, वैश्विक साहित्यिक सांस्कृतिक एवं ज्योतिष शोध संस्था (कानपुर) तथा नागरी प्रचारिणी सभा (काशी) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में पूर्वाह्न सत्र में मुख्य अतिथि की आसंदी से छंदाचार्य-समीक्षक आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ (जबलपुर) ने दिया।
आयोजन के सूत्रधार व महासचिव डॉ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’ ने संस्थाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए हिंदी को विश्वभाषा बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों तथा आगामी भ्रमण कार्यक्रम की जानकारी देते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। तत्पश्चात प्रो. अमिला व डॉ. ईशानी (श्रीलंका), प्रो. अलका धनपत (मारिशस), प्रो. शेखर (दिल्ली) आदि ने भी संबोधित करते हुए समाज, साहित्य और कला के अंतर्संबंधों के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला।
आरंभ में गणेश वंदना निशा पाराशर, सरस्वती वंदना शैल तिवारी, स्वागत गीत शिवनाथ तथा स्वागत भाषण विनय भारद्वाज ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अलका भटनागर, संजीव वर्मा ‘सलिल’, रमेश चंद्र वाजपेई, डॉ. अलका धनपत, डॉ. अमिला तथा डॉ. शीरीन कुरैशी को साहित्यिक अवदान हेतु ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से अलंकृत किया गया।
द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय गायिका डॉ. अलका भटनागर (कैलिफोर्निया) ने अमेरिका में हिंदी शिक्षण, हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता तथा भारतीयों के सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक प्रभाव का उल्लेख किया। श्याम श्रीवास्तव ‘सजन’, आनंद श्रीवास्तव, अणिमा श्रीवास्तव व सुनीता जौहरी आदि द्वारा काव्य पाठ किया गया। रमाशंकर शुक्ल के जीवंत संचालन तथा सुनीता व श्याम श्रीवास्तव की कर्मठता ने आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया। शीरीन कुरैशी द्वारा आभार प्रदर्शन से अनुष्ठान का समापन हुआ।