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वर्ष २०२३ में आपकी अपेक्षाएँ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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नया उजाला-नए सपने…

हे भाग्य विधाता अभिनंदन,
नववर्ष नमन तुम स्वीकारो
बन कृपासिंधु सर्वप्रगतिपरक,
भारत भविष्य निर्माण करो।

यह पत्र हृदय लिखता हूँ मैं,
परब्रह्म मुदित मन स्वीकारो
पुरुषार्थ सबल हो मानव पथ,
परमार्थ पुण्य मन बस जाओ।

ईश्वर जग समझो स्वार्थपूर्ण,
बस प्रेम रोग जग मन डालो
दो राष्ट्रभक्ति सम्मान ध्वजा,
बलिदान वतन पथ स्वीकारो।

जब पंचतत्व होऊॅं विलीन,
बलि मातृभूमि पद स्वीकारो
नववर्ष तेइस चहुॅं उन्नत,
हिमाद्रि तुंग सम कीर्ति भरो।

मद मोह कोप धन सुख महलें,
अभिलाष मनुज सुख रच डालो
सहयोग परस्पर अपनापन,
सद्मार्ग मीत यश रच डालो।

अरुणाभ प्रगति नव शौर्य परम,
सीमान्त विजय रण रच डालो
हे हरि मानव हित पत्र समझ,
नववर्ष शान्तिमय कर डालो।

मातृत्व भाव भ्रातृत्व हृदय,
बन्धुत्व विश्व में रच डालो
हो रोगमुक्त कोरोना जग,
पत्र समरसता रस भर डालो।

हर्षातिरेक हो सब सुख मन,
कल्याण जगत तुम कर डालो
सम रक्त बहे काया रक्तिम,
सद्भाव मनुज दिल भर डालो।

एक-एक राष्ट्र भू एक जगत,
धर्म जाति भेद मिटा डालो
बस क्लान्त चित्त लिखा है खत,
प्रभु नया साल शुभ रच डालो।

ममता समता करुणार्द्र क्षमा,
जननी जन्मभूमि भर डालो
संवेदना मनुज मन हो सुख-दु:ख,
सहनशील सत्य मन रच डालो।

लिख रहा पत्र नववर्ष महज़,
अन्तर्यामी कविमन पढ़ डालो
बस कलमवीर चाहत ईश्वर,
मातृभूमि कर्म में मथ जाओ।

साल तेइस हो खुशियाँ जग,
मुस्कान खिले सुख रच डालो।
प्रेम शान्ति विभव हो मददगार,
कवि पत्र प्रभु बस स्वीकारो॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

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