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हुनर को पहचानो

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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यह जादू है मेरी,तीखी कलम का,
भुला देती है मुझे,नाम मेरे सनम काl

थोड़ा सही पर रब ने,मुझे जो बख्शा है हुनर,
वरना मेरे अल्फाज,ठो़कर खाते दर-बदरl

हर बात को लिखना,मुझे अच्छा लगता है,
कलम का साथ,मुझे सच्चा लगता हैl

इस जादू से व्यंग्य,कसती हूँ नेता पर,
फिल्मों में कम,चुनावी मंच पर छाते अभिनेता परl

नारी की आबरू,जब पूरी तरह लुटती है,
मेरी कलम भी हर,हद तक टूटती हैl

कलम से काश! इतने,सिक्के कमाऊं खनकते,
अनाथों के चेहरों,को बना लूं महकतेl

केवल सच,मेरी कलम उकेरती है,
कभी गम तो कभी,खुशी बिखेरती हैl

कलम मेरी पहली,और पाक मोहब्बत है,
अपनी तीखी नोंक से,अल्फाजों की करती इबादत हैl

एक जादू भरे हुनर में,हर शख्स होता है दक्ष,
रब के साथ से पहचानो,अपना सच्चा अक्षll

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैL आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैL आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैL आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैL आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैL अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंL आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंL

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