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हों कोशिशें बेहिसाब

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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सीने में जोश और बस आँखों में ख्वाब रखो,
हज़ारों हों उलझनें पर कोशिश बेहिसाब रखो।
रवानगी का नाम ही तो जिन्दगानी है-
बस बना कर उम्मीद और हौंसला जनाब रखो॥

बुरा वक्त हमको हमारी,ताकत को बताता है,
कौन अपना-कौन पराया,इसको वो जताता है।
हार से भी मिलता है,अनुभव बेमिसाल-
समय कठिन हमारी छिपी शक्ति दिखाता है॥

संघर्षों की अग्नि में व्यक्ति,तपता और निखरता है,
जो हार गया मन से,वो फिर बिखरता है।
तप कर जैसे कि,सोना बनता है कुंदन-
वैसे ही कठिनाई से,होकर आदमी संवरता है॥

शूल और फूल से होकर,जो गुज़र लेता है,
धूप और छाँव में,नहीं जो सबर खोता है।
पाँव जलते हों लेकिन,रुकता नहीं सफर में-
कैसी हो परिस्थिति,वो जीत की खबर देता है॥

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