जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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यदि नाव में सुराख है पतवार को मत दोष दे।
शोला नहीं तू राख है अंगार को मत दोष दे।
यूँ आग से खेले नहीं अब भी समय है मान ले,
अब दांव पर ही साख है सरकार को मत दोष दे।
ये क्यों किसानों के मसीहा बन रहे हैं आढ़ती,
खतरे में उसका लाख है मुख्तार को मत दोष दे।
मौसम बहुत ठंडा हुआ इस बात पर भी ध्यान दे,
तू मानता बैसाख है,पतझर को मत दोष दे।
जलती चिताएं कह रही मेला नहीं मातम करो,
घुसपैठ में गुस्ताख़ है यलगार को मत दोष दे।
कानून के आलेख को परखा नहीं जाना नहीं,
ये मूर्ख संख्या लाख है दो-चार को मत दोष दे।
हलधर
जनाज़ों पर यहां अब राजनीति बंद हो,
सुख-चैन वाला पाख है मझधार को मत दोष देll