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‘अंतरराष्ट्रीय भारतीय भाषा समारोह’ में दिया २१ विद्वानों को सम्मान

दिल्ली।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद्, केंद्रीय हिंदी संस्थान और भारतीय भाषा परिवार के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् द्वारा ‘अंतरराष्ट्रीय भारतीय भाषा समारोह’ का आयोजन किया गया। संबंध परिषद् के आजाद भवन सभागार में १३ जनवरी को यह कार्यक्रम हुआ। २ सत्रों में यह कार्यक्रम किया गया, साथ ही विदेशों में भारतीय भाषाओं एवं हिंदी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले भाषाकर्मियों को सम्मानित भी किया गया।
आयोजन में प्रथम सत्र का विषय था ‘भारतीय भाषाओं का अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य’। इस विषय पर प्रो. नारायण कुमार की प्रस्तावना से शुभारंभ हुआ। ब्रिटेन से आई हिंदी की लोकप्रिय साहित्यकार दिव्य माथुर मुख्य अतिथि रहीं। अध्यक्षता संकल्प फाउंडेशन के अध्यक्ष संतोष तनेजा ने की। संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय के पंजाबी विभाग के अध्यक्ष एवं प्रो. डॉ. रविन्द्र कुमार ने किया। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय भाषाओं की अधिकाधिक सहभागिता बढ़ाने के संकल्प के साथ यह सत्र समाप्त हुआ। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. राजेश कुमार ने दिया।
आयोजन का दूसरा सत्र ‘विदेशों में भारतीय भाषाओं की उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ’ पर केंद्रित रहा। मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के विदेश राज्यमंत्री मुरलीधरन ने अनलाइन जुड़कर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि १३वां ‘विश्व हिंदी सम्मेलन’ फिजी में किया जा रहा है। इस सत्र में विशिष्ट अतिथि भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चमु कृष्ण शास्त्री ने भारतीय भाषाओं को विदेशों में प्रथम भाषा के रूप में उपयोग करने पर ज़ोर दिया। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं भारतीय भाषा मंच के संरक्षक अतुल कोठारी ने भाषाओं के प्रति स्वाभिमान पर बल दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष वीरेन्द्र गुप्ता ने आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इस संकल्पना को आगे बढ़ाना चाहिए। सत्र में जापान के प्रो. मिजोकामी ने भारतीय भाषाओं की स्थिति को सुधारे जाने के लिए प्रयास करने पर बल दिया। संबंध परिषद के महानिदेशक कुमार तुहिन ने कहा कि दुनियाभर में भारतीय भाषाएँ समझीं और बोली जाती हैं। सहयोग परिषद के महासचिव श्याम परांडे ने विदेशों में भाषा और संस्कृति के विकास के लिए परिषद् द्वारा किए जा रहे प्रयत्नों की जानकारी दी। केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष अनिल जोशी ने भारतीय भाषाओं के शिक्षण और प्रोत्साहन के लिए विदेशों में तंत्र और सुविधाएँ विकसित करने पर बल दिया है। कार्यक्रम में डॉ. मुकेश्वर चुन्नी एवं डॉ. विष्णु विश्राम को ‘भारतवंशी गौरव सम्मान’ एवं ९ देशों के भाषा के प्रति समर्पित १२ विद्वानों को ‘अंतरराष्ट्रीय भारतीय भाषा सम्मान’ दिया गया। संचालन श्रीमती अलका सिन्हा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन राजेश चेतन ने दिया।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई)

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