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अखंडता की पहचान तिरंगा

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद विनम्र’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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अपना सम्मान तिरंगा…..

मेरे भारत की है शान तिरंगा,
भारत की है आन-बान तिरंगा।

सारी जमीं आसमान तिरंगा।
सबके दिलों का है जहान तिरंगा।

महकता हुआ गुलिस्तां तिरंगा,
एकता का है निशान तिरंगा।

उड़ता हुआ-सा विमान तिरंगा,
मेरे दिल का है गुमान तिरंगा।

सभी का बना सम्मान तिरंगा,
सबसे प्यारा है महान तिरंगा।

साँसों में बहता उफान तिरंगा,
सबकी बना है कमान तिरंगा।

सभी के लिए समान तिरंगा,
सभी की है यह जान तिरंगा।

अखंडता की पहचान तिरंगा,
दिलों का है अरमान तिरंगा।

सरहदों पे उड़ता तूफान तिरंगा,
एकता का देता है ज्ञान तिरंगा।

दुश्मन को करता वीरान तिरंगा,
बनाता है कब्र को ही मकां तिरंगा।

ईश से पाया यह वरदान तिरंगा,
मंदिर की आरती है अजान तिरंगा।

विकास के चढ़ाता पायदान तिरंगा,
सपनों की है ऊंची उड़ान तिरंगा।

गाँव शहर खेत खलिहान तिरंगा,
सफलता का है अनुमान तिरंगा।

आजादी से पाया अनुष्ठान तिरंगा,
देशभक्ति का है आह्वान तिरंगा॥

परिचय–विनोद कुमार सोनगीर का निवास मध्यप्रदेश के इन्दौर जिले में है,पर स्थाई मंडलेश्वर में है। साहित्यिक उपनाम-कवि विनोद विनम्र से पहचाने जाने वाले श्री सोनगीर की जन्म तारीख १ जुलाई १९८२ है। इनको भाषा ज्ञान-हिंदी व इंग्लिश का है। बी.एससी.(जीव विज्ञान),एम.ए.(समाज शास्त्र), एम.एस-सी.(रसायन) सहित डी.एड. और सी.टी.ई.टी. तक शिक्षित होकर कार्य क्षेत्र में शासकीय सेवक (शिक्षक)हैं। आप सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत पर्यावरण सुरक्षा,बालिका शिक्षा हेतु सदैव तत्पर हैं। कवि विनोद की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल,लेख और कविता है। कईं पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाओं को स्थान मिला है। प्राप्त सम्मान तथा पुरस्कार निमित्त आपको शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु व संगठन हित में सक्रिय भूमिका हेतु कर्मचारी संगठन से सम्मान,शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा हेतु ग्राम पंचायत उमरीखेड़ा आदि से सम्मान हासिल हुए हैं। विशेष उपलब्धि-उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित होना है। लेखनी का उद्देश्य-लेखन से सभी का शुद्ध मनोरंजन करना,व समाज को नई दिशा प्रदान करना है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक सभी हैं,तो प्रेरणापुंज-डॉ.राहत इंदौरी हैं। इनकी विशेषज्ञता-श्रृंगार,हास्य,व्यंग्य और वीर रस पर लेखन की है। देश और हिंदी भाषा के प्रति अपने विचार-“देश में हिंदी साहित्य के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार अत्यंत आवश्यक है। हिंदी भाषा को इंग्लिश से बचाने के लिए साहित्य का प्रसार अत्यंत आवश्यक है।” कवि विनोद के जीवन का लक्ष्य-श्रेष्ठ कार्य सतत करते रहना है।

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