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अच्छे साहित्य द्वारा सांस्कृतिक क्षरण से बचा सकते हैं बच्चों को

भोपाल (मप्र)।

आज के बच्चे सोशल मीडिया पर काफी समय बिता रहे हैं, जिसके अनेक दुष्परिणाम हमारे सामने आ रहे हैं। अच्छे बाल साहित्य से हम बच्चों में होने वाले इस सांस्कृतिक क्षरण और प्रदूषण से उन्हें बचा सकते हैं।
यह बात लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. विकास दवे (निदेशक साहित्य अकादमी, मप्र) ने कही। अवसर रहा सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय सभागार में बाल साहित्यकार इंदिरा त्रिवेदी के बाल कहानी संग्रह ‘गूंगी गुड़िया’ के लोकार्पण अवसर का। रचनाकार इंदिरा त्रिवेदी ने विमोचित कृति का वाचन किया और साहित्यिक यात्रा के बारे में मन की बातें साझा की।
सुश्री निर्मला भूरिया (मंत्री, महिला एवं बाल विकास मध्यप्रदेश शासन) ने अतिथि के नाते कहा कि बच्चों को संस्कारित करने में बाल साहित्य की भूमिका महत्वपूर्ण है। आज के बच्चे हमारे राष्ट्र के आने वाले कल का भविष्य हैं, इसलिए अपने बच्चों, अपने समाज, राष्ट्र के उज्ज्वल और स्वर्णिम भविष्य के लिए बच्चों का संस्कारवान होना बहुत आवश्यक है।
पुस्तक केंद्रित समीक्षा साहित्यकार घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने करते हुए कहा कि संग्रह की सभी कहानियाँ सहज, सरल और पठनीय हैं तथा उनके विषय आज के बच्चों के मनोकूल हैं।
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर (संस्थापक माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय) और वरिष्ठ बाल साहित्यकार एवं निदेशक (बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध संस्थान) महेश सक्सेना भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन साहित्यकार गोकुल सोनी ने दिया। सफल संचालन दीपक पगारे ने किया। आभार नीना सिंह सोलंकी ने प्रकट किया।