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अनुमति

इलाश्री जायसवाल
नोएडा(उत्तरप्रदेश)

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गाँव जाने के लिए वह अपना सामान बांधने लगी। सब आश्चर्य में पड़ गए,पहले कभी वह इस तरह से गाँव नहीं गई थी। अब अचानक ….।
उसके पति ने पूछा,-“यूँ इस तरह गाँव क्यों जा रही हो ? वहां तो तुम्हारा कोई भी नहीं है।”
“मैं केशव जी के पास जा रही हूँ,उनकी तबियत ठीक नहीं है।मरणासन्न अवस्था है,कोई देखने भालने वाला नहीं।”-सीमा ने उत्तर दिया ।
“पर,तुम क्यों ? अब तुम्हारा उनसे क्या सम्बन्ध है ? उन्होंने तो तुम्हारा परित्याग कर दिया था। अब किस रिश्ते से तुम उनके पास जा रही हो ? क्या उनका और कोई नहीं ? क्या यहां तुम्हारा कोई नहीं,कोई जिम्मेदारी नहीं ? इतना मान-सम्मान पाकर भी तुम गंवार ही रहीं।”-नरेश ने कहा।
“यह सच है कि उन्होंने अपनी पारिवारिक विषम परिस्थितियों के चलते मेरा परित्याग कर दिया था,क्योंकि प्रेमवश न तो वह मेरा साथ दे पा रहे थे,और न ही मेरे विरुद्ध जा पा रहे थे। ऐसे में हम दोनों का अलग होना ही ठीक था। रही बात मेरी यहां की जिम्मेदारियों की,तो आपका पूरा परिवार मैंने बसा दिया है। बहू-बेटे आदि सब आपका ख्याल रखेंगे,पर उनके पास कोई नहीं है। जीवन के अंतिम समय में वे अकेले हैं। आपने सही कहा कि,मैं बिल्कुल गंवार हूँ। तभी तो आपकी पहली पत्नी के देहांत के बाद मैंने आपसे दूसरा विवाह किया और आपके बच्चों को माँ का प्यार देने के लिए कभी स्वयं माँ नहीं बनीं। आपसे पत्नी का हक नहीं मांगा,पर अब मैं आपसे अपने प्यार को निभाने की अनुमति चाहती हूँ। अपने केशव के पास जाना चाहती हूँ।”

परिचय-इलाश्री जायसवाल का जन्म १९७८ में २५ जून को हुआ हैl अमरोहा में जन्मीं हैंl वर्तमान में नोएडा स्थित सेक्टर-६२ में निवासरत हैंl उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखने वाली इलाश्री जायसवाल की शिक्षा-एम.ए.(हिंदी-स्वर्ण पदक प्राप्त) एवं बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-हिंदी अध्यापन हैl लेखन विधा-कविता,कहानी,लेख तथा मुक्तक आदि हैl इनकी रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा पोर्टल पर भी हुआ हैl आपको राष्ट्रीय हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार व काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान मिला हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी-साहित्य सेवा हैl इनके लिए जीवन में प्रेरणा पुंज-माता तथा पिता डॉ.कामता कमलेश(हिंदी प्राध्यापक एवं साहित्यकार)हैंl

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