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अनुशासित जीवन जीने की कला है योग

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विशेष…………….


स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और सजग बनाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र द्वारा योग को हर वर्ष २१ जून को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई। ११ दिसंबर २०१४ को संयुक्त राष्ट्र द्वारा २१ जून को विश्व योग दिवस घोषित किया गया। वैसे तो योग भारतीय संस्कृति की लिए नया नहीं है,ऋषि-मुनियों के समय से ही योग क्रिया चली आ रही है,लेकिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व योग दिवस घोषित करने से विश्व में योग के प्रति लोग ज़्यादा सजग, उत्साहित और समर्पित हुए हैं।
योग का शाब्दिक अर्थ होता है जोड़ना या बाँधना या एकता। शरीर,मन और भावनाओं को आपस में जोड़ने या बाँधने की कला को ही योग कहते हैं। योग,व्यायाम की क्रिया है जिससे एक इंसान को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक सुकून प्राप्त होता है। योग करने के लिए किसी भी प्रकार के मशीनी औजार की ज़रूर नहीं पड़ती। योग कभी भी,कहीं भी किया जा सकता है। प्रतिदिन योग करने से हर इंसान के शरीर को तरह की बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है। योग ना केवल इंसान को शारारिक मजबूती प्रदान करता है,बल्कि मानसिक शक्ति भी प्राप्त होती है,जो आजकल की भागदौड़ वाली जीवन शैली के लिए बहुत ही ज़रूरी है। सुबह-सुबह रोजाना योग करने से शरीर स्वस्थ होता है,और दिनभर शरीर में जोश और उत्साह रहता है।
योग के ४ प्रमुख प्रकार हैं जो युगों से चले आ रहे हैं-राज योग,कर्म योग,भक्ति योग और ज्ञान योग। वैसे तो योग कभी भी किया जा सकता है,इसके लिए कोई तय समय नही हैं लेकिन सुबह सूर्योदय से पहले एक से दो घंटे योग के लिए सबसे अच्छा समय माना गया है, क्योंकि उस समय हवा साफ और ताज़ा होती है,और शरीर भी आरामदायक स्थिति में होता है। अगर सुबह आपके लिए योग करना मुमकिन ना हो तो सूर्यास्त के समय भी कर सकते हैं। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है-प्रतिदिन योग का समय निर्धारित कर लें,योग मैट या दरी बिछाकर ही करें,योग खुली जगह जैसे पार्क या घर की छत में कर सकते हैं, योग की क्रिया धीरे-धीरे और आसान तरीके से शुरू करें तथा योग किसी विशेषज्ञ से ज़रूर सीखें या सलाह लें।
योग से विश्वभर में शांति का संदेश दिया जा सकता है,और आज के समय में विश्वभर के लोगों के लिए यह बहुत ही ज़रूरी है। हर एक आदमी की आत्मिक शांति के लिए यह बहुत जरूरी है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उद्देश्य देखें तो योग के महत्व पूरी दुनिया ने जाने हैं और माने भी हैं। योग को मिली विश्वव्यापी पहचान के लिए इसकी सरलता है आसानी है। बिना खर्चे के स्वस्थ रहने का तरीका है योग। उद्देश्य हैं-
योग विश्व शांति के लिए बहुत ही ज़रूरी है,योग स्वस्थ रहने का सबसे आसान और बिना खर्चे का तरीका है,योग द्वारा लोगों को प्रकृति से जोड़ना,योग शारारिक मजबूती और आत्मविश्वास के लिए ज़रूरी है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के कारण योग सीखने वालों की माँग विश्वभर में बढ़ी है। योग आज हर किसी की लिए ज़रूरी हो गया है। भाग-दौड़ की इस जिंदगी के कारण हर किसी के पास समय नहीं है,कि वो रोज जिम के लिए समय निकाल सकें,इसलिए लोग योग को आसानी से अपना रहे हैं।
योग एक प्रकार से अनुशासित जीवन जीने की कला है। इसके माध्यम से तन-मन और विचारों में एकाग्रता आने से हमें सुखद अनुभूति होती है।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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