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‘अपनी माँ के चरणों में वो जन्नत छोड़ आया हूँ…’ -काव्य गोष्ठी में देश प्रेम और वीरता पर हुआ काव्यपाठ

इंदौर।

संस्था काव्य सागर,इंदौर की विशेष मासिक गोष्ठ सुदामा नगर में आयोजित की गई। कवि-गीतकारों ने गीत-ग़ज़ल के माध्यम से देश के प्रति अपने भक्तिभाव व्यक्त किये। सांवेर से आए वरिष्ठ कवि के पी. चौहान ने ‘नज़र नज़र में फर्क है,कुछ नज़रें बुरी लगती है,गुलदस्ते में खंजर छिपे हैं,जिन्दगी अधूरी लगती है’ कविता पढ़कर दाद बटोरी। ऎसे ही सुनील रघुवंशी ने सुनाया-‘मैं अपना गांव वो गलियां वो पीपल छोड़ आया हूँ,मैं अपनी माँ के चरणों में वो जन्नत छोड़ आया हूँ।’
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मनोहर वर्मा ‘मधुर’ ने की। मुख्य अतिथि राजेंद्र शर्मा ‘राही’ थे। अतिथियों का स्वागत सुनिल वर्मा ‘मुसाफिर’ ने किया।


जितेंद्र राज ने देश प्रेम पर काव्यपाठ किया-‘राष्ट्र को समर्पित वीरों का सम्मान होना चाहिए,उनके अतुल बलिदान का यशगान होना चाहिए।’ धर्मेन्द्र अम्बर ने ग़ज़ल पढ़ी-‘जंगल के सम्त जब भी आरियां निकले, सूखा सुनामी महामारियां निकले।’ जयनारायण पाटीदार ने पढ़ा-‘इम्तिहान तूफानों का मैं हर बार लेता हूँ,जीत के जीत उसी पर वार देता हूँ। बृजमोहन शर्मा
‘बृज’ ने सुनाया-‘मिट्टी मेरे वतन की मैं सर से लगाऊं, इस देश धरा पर मैं अपना शीश झुकाऊं।’ वरिष्ठ गीतकार मनोहर वर्मा ‘मधुर’ ने गीत गाया-‘दुनिया के रंगमंच पर किरदार है सभी,छोटा न बड़ा कोई असरदार है सभी।’ पन्ना से आए मुख्य अतिथि और कवि राजेंद्र शर्मा ‘राही’ ने गीत सुनाया-आ रहे हैं प्रभु राम मेरे द्वार पर दीपक जलाना,हाथ से शुभ-लाभ लिखना,बीच में स्वस्तिक बनाना।’ ग़ज़लकार हरीश साथी सहित सुनील रघुवंशी और मनोज राठौर ने भी उम्दा काव्यपाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संचालन जितेंद्र राज ने किया। आभार सुनील रघुवंशी ने माना।

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