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अब तो स्कूल जाते हैं

डॉ.जियाउर रहमान जाफरी
नालंदा (बिहार)
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जब हम बिल्कुल छोटे थे,
नहीं ज़रा भी मोटे थेl

करते थे सब प्यार मुझे,
देखते सौ-सौ बार मुझेl

मम्मी दूध पिलाती थीं,
नानी कपड़े लाती थींl

पापा सब-कुछ लाते थे,
झूले हमें झुलाते थेl

फिर जब कुछ हम बड़े हुए,
धीरे-धीरे खड़े हुएl

लगे बोलने बातें सारी,
खाते रोटी और तरकारीl

अब तो स्कूल जाते हैं,
घर में कम रह पाते हैंll

परिचय-आप शायर और आलोचक हैं तथा हिन्दी,उर्दू सहित मैथिली भाषा के कई पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन जारी है। डॉ.जियाउर रहमान जाफरी की शिक्षा एम.ए.(हिन्दी) और बी.एड. सहित पीएचडी(हिन्दी) है।आपकी प्रकाशित कृति मेंं ‘खुले दरीचे की खुशबू(हिन्दी ग़ज़ल)’,और ‘खुशबू छूकर आई है’तथा  ‘चाँद हमारी मुट्ठी में है(बाल कविता)’  आदि हैं। आप आपदा विभाग और राजभाषा विभाग(बिहार) पुरुस्कृत हैं।डॉ.जाफरी का निवास बिहार राज्य के नालंदा जिला स्थित बेगूसराय में है। आप बतौर सम्प्रति बिहार सरकार में अध्यापन में सक्रिय हैं। 

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