उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश)
***************************************************
पहले होती थीं मन की बातें,
कट जाती थीं दु:ख की रातें।
आया समय,अब लोग स्वार्थी हो गए,
मैं ही जग कर क्या करुँ,सब मुँह फिराए सो गए।
आओ दिल की बात बताऊँ,बुजुर्ग जो हमसे कह गए,
बढ़ गए सबसे आगे जग में वे,जो सत्य राह पर रह गए।
मन में घमंड तुम कभी न करना,घमंडी की दुनिया नहीं रही,
पहले होती थीं मन की बातें,अब ओ बातें नहीं रही॥
अब सब लोग निराले हो गए,छोड़ परमार्थ स्वार्थ में खो गए,
जीवन सुख जगने से मिलता,कंबल ओढ़ सब यहाँ तो सो गए।
करो सुकर्म विश्वास उसी पर,जीवन स्वर्ग बन जाएगा,
निकल गया समय आज तो,बंधु तू पछताएगा।
बल पौरुष जब घटा स्वयं का,तो कोई काम ना आएगा,
फूट जाएगा घर अपना तो,मजा गँवार उठाएगा।
कहे ‘उमेश’ लोगों को परखो,सद्भावना सबमें नहीं रही,
पहले होती थीं मन की बातें,अब ओ बातें नहीं रही॥
परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।