कुल पृष्ठ दर्शन : 478

You are currently viewing आओ, आओ कृष्ण मुरारी

आओ, आओ कृष्ण मुरारी

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
******************************************

आओ, आओ कृष्ण मुरारी,
तेरी है अब दरकार
चारों और भ्रष्टाचार फैला है,
कंस हर गली बाजार।
आओ आओ कृष्ण मुरारी,
तेरी है अब दरकार…॥

कालिया अब फन फैलाए,
संसद में करता तकरार
सुदामा अब आस में तेरी,
भूखे पेट लगाता गुहार।
आओ, आओ कृष्ण मुरारी,
तेरी है अब दरकार…॥

सत्य का अब नाम नहीं है,
झूठ से चलता संसार
आवन की आस में तेरे,
अब मन है मेरा बेकरार।
आओ, आओ कृष्ण मुरारी,
तेरी है अब दरकार…॥

यमुना तेरी कचरा ढोती,
ढोते-ढोते रोते सोती
सोते-सोते रोते-रोते,
करती यह तेरा इंतजार।
आओ, आओ कृष्ण मुरारी,
तेरी है अब दरकार…॥

दुर्योधन से बाजार भरा है,
अबला संग ना हथियार
दुशासन अब दौड़ पड़ा है,
अबला है अब लाचार।
आओ, आओ कृष्ण मुरारी,
तेरी है अब दरकार…॥

परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

Leave a Reply