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आओ खुशियाँ बांटें

जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
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खुला दिल रखो जग में,तनिक रखो न गांठें,
बार-बार ना मानव जीवन,आओ खुशियाँ बांटें।

खेल-खेल में कटे जिंदगी,समझो अच्छी बात,
क्या लाए ले जाएंगे,कछु चलेगा नहीं साथ।

आते खाली हाथ सभी,जाते खाली हाथ है,
चार दिन ये चाँदनी,फिर वही अंधेरी रात है।

प्रेम पसारो प्रेम पाओ,अपनापन पनपाओ,
हिलमिल हेत-प्रेम से रहो,सबका साथ निभाओ।

प्रेम-सौहार्द कायम रखो,लोग करेंगे याद सदा,
बिन प्रेम कोई न पूछे,नाम न लेंगे यदाकदा।

प्रेम अमोलक है दुनिया में,प्रेम ही व्यवहार है,
भाईचारा भलमन चाहत,देता सबका प्यार है॥

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