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आजादी के मायने

रेनू सिंघल
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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कैद पिंजरे में पंछी की निगाहें खुले आसमान को ताकती हैंl जिस हसरत से पिंजरा खुलते ही खुले आसमान में पंख फैलाए जिस आजादी की अनुभूति उसे होती है,१५ अगस्त सन १९४७ के दिन ब्रिटिश हुकूमत से मिली आजादी के कारण पूरे देश में उसी तरह जश्न का मौहाल था। कितने वीर क्रांतिकारियों के बलिदान के पश्चात हमें आजाद भारत की धरती पर साँस लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। नए भारत का निर्माण होगा,इसी आशा से हर देशवासी के दिल में नयी उमंगें हिलोरे ले रहीं थीं,पर तब से लेकर अब तक क्या वास्तव में हमने आजादी को सही मायने में पाया है ? विकास की प्रक्रिया में दिन-प्रतिदिन बदलाव हुए,मगर मानव सोच तो आज भी अंग्रेजों की बनाई नीतियों का गुलाम बनी हुई हैl जिन कानून को अंग्रेजों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से बनाया था,हम आज भी उन पर आँख बंद कर क्यों चल रहे हैं ? ये कैसी आजादी है…! जिसे हम हर साल १५ अगस्त के दिन ध्वजारोहण कर,वंदे मातरम,भारतमाता की जय के नारे लगाकर इतिश्री पूरी कर लेते हैं ? क्या इस तरह देश के प्रति हमारा कर्तव्य पूरा हो जाता है ?

आजादी की अभिव्यक्ति पर देखो कैसा पहरा है ?

अंग्रेजों की नीति से क्यों अब तक नाता जोड़ा है ?

मौन रहा ये शासन अब तक निज स्वार्थता के वश में…!

सत्ता के गलियारों में लंका को भेदी ने फूँका है ?

विकास की प्रक्रिया में आड़े आती हुई बाधाओं को खत्म करने के लिए हमें अपनी मूल संस्कृति की जड़ों को अपनाते हुए अपने भारत के नवनिर्माण के लिए नियमों में संशोधन करना अत्यंत आवश्यक है। परिवर्तन तो प्रकृति का शाश्वत सत्य है,तो फिर विकास के लिए भी समय-समय पर बदलाव अत्यंत आवश्यक है। आजादी से मतलब अपनी सोच को सकारात्मक दिशा में ले जाते हुए अपने कार्य के प्रति ईमानदारी,निज स्वार्थ की भावना का त्याग देश हित भावना सर्वोपरि होनी चाहिए। तभी विश्व में भारत का मस्तक चन्द्रमा-सा सुशोभित होगा,सूरज के तेज-सा विश्व में अपनी चमक से दमकेगा। आजाद भारत की धरती पर अब उम्मीद के पुष्प पल्लवित होने लगे हैं।

परिचय-रेनू सिंघल का निवास लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में है। १९६९ में ९ फरवरी को हापुड़ (उत्तर प्रदेश) में जन्मीं हैं। आपको हिंदी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। गणित से स्नातक(बी.एस-सी.)श्रीमती सिंघल का कार्यक्षेत्र-लेखन का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आप साहित्य सृजन द्वारा सामाजिक चेतना जागृत करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी और लेख है। ‘अलकनंदा’ साझा काव्य संकलन सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मानों में-साहित्य श्री सम्मान,काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान- २०१८,प्रजातन्त्र का स्तम्भ गौरव पुरस्कार- २०१९ और सी. वी. रमण शांति सम्मान-२०१९ आदि हैं।

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