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आजा कन्हैया

कृष्ण कुमार कश्यप
गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….


आजा एक बार फिर कन्हैया,
सुना दे मधुर बंशी की तान।
अट्टाहास करने लगा है कंस,
पुकारे तुझे आज हिन्दुस्तान।

बाहुबली दुष्ट जरासंघों ने तो,
कहर जनमानस पर ढाया है।
कपटी धूर्त शकुनि ने फिर से,
चौसर जाल आज बिछाया है।

छल-कपट बाह्य आडम्बर से,
दूषित हो गया देश व समाज।
दुशासन बलात्कारी हर तरफ़,
कौन सुने द्रौपदी की आवाज।

सभ्यता-संस्कृति नष्ट करता,
हँसने लगा असभ्य शिशुपाल।
पूतना घर-घर ज़हर बेच रही,
पकड़ मिलावट,नशे की थाल।

कर्ण धर्म छोड़ दुर्योधन के संग,
कर रहा महाभारत की तैयारी।
निर्दोष रक्त ना बहे फ़िर से,
शांति दूत बन जाओ गिरधारी।

आजा एक बार फिर कन्हैया,
सुना दे मधुर बंशी की तान।
प्रेम शांति खुशी सौहार्द्र से,
झूम जाए पूरा ये हिन्दुस्तान॥

परिचय-कृष्ण कुमार कश्यप की जन्म तारीख १७ फरवरी १९७८ और जन्म स्थान-उरमाल है। वर्तमान में ग्राम-पोस्ट-सरगीगुड़ा,जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़) में निवास है। हिंदी, छत्तीसगढ़ी,उड़िया भाषा जानने वाले श्री कश्यप की शिक्षा बी.ए. एवं डी.एड. है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक (नौकरी)होकर सभी सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी और लघुकथा है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य ग़ौरव सम्मान-२०१९, अज्ञेय लघु कथाकार सम्मान-२०१९ प्रमुख हैं। आप कई साहित्यिक मंच से जुड़े हुए हैं। अब विशेष उपलब्धि प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वाले कृष्ण कुमार कश्यप की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिंदी लेखक- मुंशी प्रेमचंद हैं तो प्रेरणापुंज-नाना जी हैं। जीवन लक्ष्य-अच्छा साहित्यकार बनकर साहित्य की सेवा करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“मेरा भारत सबसे महान है। हिंदी भाषा उसकी शान है।”

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