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बाँके बिहारी

सुबोध कुमार शर्मा 
शेरकोट(उत्तराखण्ड)

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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….

बांके बिहारी भव कष्टकारी,
तेरी शरण में मैं आ गया हूँ।
मैं था अटका,मोह में भटका,
भक्ति पथ,मैं अब आ गया हूँ॥

चरणरज मुझे दो,अनुराग भर दो,
तेरा रहस्य मैं पा गया हूँ।
गरीब नवाज तुम हो कहलाते,
जग का गरीब मैं आ गया हूँ॥

भक्तों पर तूने प्रेम लुटाया,
प्रेम भिखारी मैं आ गया हूँ।
आ भी जाओ दर्श दिखाओ,
प्रतीक्षा करके तंग आ गया हूँ॥

मम भाग्य रूठा,तुम भी हो रूठे,
मैं समर्पण को आ गया हूँ।
श्रद्धा सुमन को मैं संग लेकर,
अर्पण को तेरे मैं आ गया हूँ॥

गज प्रहलाद भक्तों को तूने,
दारुण दुखों में था उबारा।
वही भक्ति भाव संग लेकर,
तेरे दर पर मैं आ गया हूँ॥

कलयुग ने मुझको है भरमाया,
भाग्य जगाने मैं आ गया हूँ।
मानव मन मेला क्यों है इस जग में,
यह समझने में आ गया हूँ॥

दीन-दुखियों को तूने है तारा,
भवसागर तरने में आ गया हूँ।
जग दुखों को सद्य नसाओ,
विनती संग मैं ले आ गया हूँ॥

राष्ट्र मेरा सुदृढ़ बनाओ,
यह भाव उर में मैं ला गया हूँ।
मैं अबोध था भक्ति न की थी,
बनकर ‘सुबोध’ मैं आ गया हूँ॥

परिचय – सुबोध कुमार शर्मा का साहित्यिक उपनाम-सुबोध है। शेरकोट बिजनौर में १ जनवरी १९५४ में जन्मे हैं। वर्तमान और स्थाई निवास शेरकोटी गदरपुर ऊधमसिंह नगर उत्तराखण्ड है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी-अँग्रेजी)है।  महाविद्यालय में बतौर अँग्रेजी प्रवक्ता आपका कार्यक्षेत्र है। आप साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत कुछ साहित्यिक संस्थाओं के संरक्षक हैं,साथ ही काव्य गोष्ठी व कवि सम्मेलन कराते हैं। इनकी  लेखन विधा गीत एवं ग़ज़ल है। आपको काव्य प्रतिभा सम्मान व अन्य मिले हैं। श्री शर्मा के लेखन का उद्देश्य-साहित्यिक अभिरुचि है। आपके लिए प्रेरणा पुंज पूज्य पिताश्री हैं।

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