बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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आधा है ये चन्द्रमा,आधी है ये रात।
ऐसे में साजन करूँ,तुझसे दिल की बात॥
तुझसे दिल की बात,बताऊँ हाल सुनाऊँ।
नहीं चैन दिन-रैन,तुझी पर प्रेम लुटाऊँ॥
कहे ‘विनायक राज’,रहे मत कोई बाधा।
प्यार मिले भरपूर,नहीं हो इसका आधा॥