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इंसान की तक़दीर

मुकेश कुमार मोदी
बीकानेर (राजस्थान)
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पापकर्मों के समापन की, करनी होगी शुरुआत,
वरना पाते रहेंगे हम, दु:ख-दर्द के अनेक आघात।

झांको जरा अन्तर्मन में, प्रत्येक दिन का अतीत,
कैसी-कैसी मुश्किलों में, ये जीवन हुआ व्यतीत।

कलह-क्लेश से भरा रहता, जीवन का हर दृश्य,
एक पल का सुकून भी रहता, नजरों से अदृश्य।

मन की भावनाओं को, हर कोई चुभाता है काँटे,
स्वार्थ के वश होकर, सब सम्बन्ध भी हमने बांटे।

करता है हर कोई, कृत्रिम सुन्दरता से आकर्षित,
मन में भरी कुटिलता हमें, कभी ना होती दर्शित।

जाने कब से चला आ रहा, घाव लगाने का दौर,
कब तक यूँ होता रहेगा, ना करता कोई भी गौर।

हर कोई एक-दूजे को यदि, दुख ही देता जाएगा,
स्वर्णिम सुखमय दुनिया का, सवेरा नहीं आएगा।

अपने श्रेष्ठ कर्मों से औरों का, करना होगा भला,
सबको सीखनी ही होगी, आँसू पोंछने की कला।

पहले अपने मन को, करना होगा सम्पूर्ण शान्त,
अपना जीवन बनाना होगा, एक आदर्श दृष्टान्त।

स्वपरिवर्तन करना होगा, बल दृढ़ता का भरकर,
मरजीवा बनना होगा, अशुद्ध संस्कार बदलकर।

मिलकर जब हम तोड़ देंगे, बुराइयों की जंजीर,
सुधर जाएगी दुनिया के, हर इंसान की तकदीर॥

परिचय – मुकेश कुमार मोदी का स्थाई निवास बीकानेर में है। १६ दिसम्बर १९७३ को संगरिया (राजस्थान)में जन्मे मुकेश मोदी को हिंदी व अंग्रेजी भाषा क़ा ज्ञान है। कला के राज्य राजस्थान के वासी श्री मोदी की पूर्ण शिक्षा स्नातक(वाणिज्य) है। आप सत्र न्यायालय में प्रस्तुतकार के पद पर कार्यरत होकर कविता लेखन से अपनी भावना अभिव्यक्त करते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-शब्दांचल राजस्थान की आभासी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त करना है। वेबसाइट पर १०० से अधिक कविताएं प्रदर्शित होने पर सम्मान भी मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जीवन मूल्यों को पुनर्जीवित करने का प्रयास करना है। ब्रह्मकुमारीज से प्राप्त आध्यात्मिक शिक्षा आपकी प्रेरणा है, जबकि विशेषज्ञता-हिन्दी टंकण करना है। आपका जीवन लक्ष्य-समाज में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की जागृति लाना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-‘हिन्दी एक अतुलनीय, सुमधुर, भावपूर्ण, आध्यात्मिक, सरल और सभ्य भाषा है।’

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