भोपाल (मध्यप्रदेश)
नन्हें बच्चे होते फूलों की डली,
जिनकी आवाज से गूंजती हर गली।
नन्हें-नन्हें पाँव से घूमे सारी फुलवारी,
बात-बात पर दिखाते अपनी अदाकारी।
बच्चे हैं नए-नए फूलों का चमन,
जिनके बिना सूना है सबका गुलशन।
बच्चों का रोना जैसे मुरझाया कोई फूल हो,
जैसे डांटने से शरारती बच्चा कहीं रूठा हो।
इनके होने से जगमग है दुनिया-ए-जहान,
इनकी किलकारी के संगीत से सुरमई है घर आँगन।
हर नन्हा फूल है अपने-आपमें एक नायाब ओस मणि,
जो हर सर्द रात में चमकती है जैसे चाँद की चाँदनी॥
परिचय–तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं। यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि १६ नवम्बर एवं जन्म स्थान-विदिशा (मप्र) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। पीजीडीसीए व एम. ए. शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। यह अधिकतर कविता लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। कुछ स्पर्धा में प्रथम भी आ चुकी हैं।