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दो बातें तुमसे…

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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आँखें प्यासी है आज भी प्रिये,
तेरे उस सादे सहज दीदार की।
जमाना बीत गया है किए हुए,
दो बातें तुमसे शालीन प्यार की।

किससे कहूं और क्या कहूं, कि सब कुछ ?
नहीं होता है प्यार में किसी को पा जाना ?
प्रेम अनन्त है,वासनाएं अतृप्त है, चाहत है,
नाम बस एक-दूसरे की याद में खो जाना।

जाते हैं दूर तलक वो यादें और वादे,
मुश्किल होता है जिन्हे करके निभाना
छुप-छुप कर मिलना और फिर बिछुड़ना,
सदियों से प्यार का दुश्मन रहा है जमाना।

वो अन्दर ही अन्दर कई बातों को छुपाना,
बड़ा मुश्किल होता था उन्हे जुबां पर लाना
वे आँखों ही आँखों की बेबाक की सी बातें,
मुश्किल होता था जिन्हें इशारों में समझाना।

आज भी हसरत है सीने में, है वही मुहब्बत,
मुश्किल होता है इश्क-मुश्क को छुपाना
जाने क्या रखा है ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में ?
क्यों नहीं समझाता है आज इन्हें यह जमाना ?

हमने किया नहीं इजहार-ए-इश्क कभी भी था,
रह गया होकर भी प्यार भीतर ही भीतर बेगाना
तुम हो गए थे उनके पलभर में देखते ही देखते,
हमने सहर्ष देखा था सब, तनिक भी बुरा न माना।

होता कुछ इस कदर का नई पीढ़ी के साथ तो शायद,
खैर! छोड़िए, सब्र करें, हो गया प्रेम प्रलाप है बहुतेरा
हो न सका किस्मत से गर दैहिक मिलन तो क्या हुआ ?
बस होता रहे रूहों से रूहों का मिलन यूँ ही तेरा-मेरा।

जालिम जमाने की भीड़ में मुश्किल है जी ढूंढ पाना,
एक-दूसरे को, यहां छाया है जी बस अंधेरा ही अंधेरा।
यहां होती नहीं है कभी भी सुबह, रात गुजार जाने पर,
यहां का दस्तूर है कि जब जाग जाए तो समझो सवेरा॥

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