कुल पृष्ठ दर्शन : 214

You are currently viewing उफ़! मँहगाई

उफ़! मँहगाई

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
***********************************

मँहगाई की मार बड़ी भारी है,
ज़िन्दगी में खूब लाती तबाही है
आज़ मुश्किल में है सारा जहां,
इस आफत ने जब से गर्दन उठाई है।

यह ज़िन्दगी में तूफान ला देती है,
सबको खूब परेशान करने में आगे बढ़ जाती है
आवश्यक वस्तुएं नहीं होती है नसीब यहां,
मूल्यों को बढ़ावा हरक्षण मिलने लगता है वहां।

आर्थिक आधार पर संयमित नहीं रहता जीवन,
सबको खूब परेशान कर देता है यह मिशन
ग़रीबी और भूखमरी इनके प्रकार है,
सबमें दिखती मजबूरी और तकरार है
यह आजीविका पर एक प्रहार है,
जन-जन तक इसका दिखता आकार है।

गरीब और गरीब हो जाते हैं,
मुश्किल में हरपल नज़र आते हैं
मँहगाई कमर तोड़ कर रख जाती है,
मुसीबतों की चट्टान सामने नज़र आती है।

पैसे की भारी भीड़-भाड़ नज़र आने लगती है,
मँहगाई चरम शिखर पर पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ती है
मुद्रा स्फीति का स्वरूप उभर कर करीब आता है,
पैसे का मूल्य बहुत घट जाता है
आम आदमी को यह खूब परेशान करता है,
भूखमरी और बेकारी भी चरम पर रहते हैं।

निर्धन और गरीब सबसे मुश्किल में रहते हैं,
मजबूरी और फिर बेबसी से कुछ नहीं कर सकते हैं
आओ हम-सब मिलकर एक उन्नत योजना बनाएं।
जन-जन तक महंगाई पर नियंत्रण के लिए आवाज उठाएं॥

परिचय–पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

Leave a Reply