कुल पृष्ठ दर्शन : 201

You are currently viewing उर प्रेम भरो

उर प्रेम भरो

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
**********************************

नव वर्ष विशेष….

उर प्रेम भरो तुम मीठा-मीठा
पिछला सब है रीता-रीता,
तारीख बदल दे वक्त यहां
लगता पिछला झूठा-झूठा।

हर्षित उर बिंदु हो अधीर
प्रफुल्लित तन-मन पाने को,
हो उल्लासित त्याग करो
पिछ्ला जो था टूटा-टूटा।

नव वर्ष स्वागत हो मंगल
बिसरे बीते आफ़त व दंगल,
होश में आकर शांत रोष हो
उर दूर करें संग रुठा-रुठा।

आओ नव निर्माण करें
उर्जा नवीन आहवान करें,
अभिमान में जो टूट गया
वो जोड़े फिर से टूटा-फूटा।

संकल्पित उर विकल्प धरो
ताड़ नहीं तुम कल्प बनो।
स्नेह श्रंखलाएं हो अनेक
फल मिले हर मीठा-मीठा॥

Leave a Reply