अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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तोड़ना मत कभी भाई-बहन का प्यार,
रिश्ता है अनमोल ये, इसमें है संसार।
महिमा इसकी न समझना तुम कभी कम-
रेशम की डोरी से जुड़ा प्रेम ये अपार॥
स्नेह का बंधन यह जोड़े है बस इक धागा,
निभाना सदा ये रिश्ता तुम बे नागा।
बस एक धागे में है बात बहुत बड़ी-
वो कैसा भाई है जिसके संग नहीं यह धागा॥
भाई बहन के प्रेम में होता इक विश्वास,
बहना की रक्षा की कभी न टूटे आस।
रेशम की इस डोरी से मत लड़ना कभी-
राखी धागा नहीं, ये भाई-बहन की साँस॥